नई दिल्ली। केंद्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने उपक्रमों को लौह अयस्क के रूप में राष्ट्रीय संपदा के लिए स्वामित्व और जवाब देही लेने और इन संसाधनों के यथोचित उपयोग में समय नहीं गंवाने का निर्देश देते हुए कहा कि शीर्ष प्रबंधन को इन परिसंपत्तियों के नकद मूल्य के संदर्भ में सोच कर मानसिकता और दृष्टिकोण को बदलना चाहिए और संसाधन को अधिकतम उपयोग में लाने के लिए लीक से हटकर सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि, फोकस, चिंतन, निश्चय, प्रतिबद्धता और दृढ़ता की कमी को केवल अपनेपन की भावना और देश की सेवा करने के लिए दृढ़ संकल्प से दूर किया जा सकता है।
केंद्रीय इस्पात मंत्री ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में इस्पात मंत्रालय के उपक्रमों द्वारा लौह अयस्क उपयोग एवं बिक्री के मुद्दे पर एक बैठक की अध्यक्षता की। इस मौके पर इस्पात मंत्रालय, स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (SAIL) और राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (NMDC) के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।