पटना। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने जातीय जनगणना मामले में बिहार की एनडीए सरकार पर बोलते हुए कहा हैं कि जब बिहार विधानसभा ने दो-दो बार जातीय जनगणना संबंधित प्रस्ताव पारित किया हुआ है, तब भी इस मामले में एनडीए के नेतागण दोहरी नीति क्यों अपना रहे है?
इन्होंने ने कहा कि जहां एक और नीतीश कुमार जातीय जनगणना कराने की बात तो करते हैं, लेकिन इसके लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने का इरादा नहीं रखते ये इनकी मंशा को स्पष्ट करता है। उन्होंने कहा, दरअसल यह लोगों को भ्रम में रखकर ऐसी ऐसी राजनीति करने में माहिर है।
अहमद ने कहा कि भाजपा के द्वारा जातीय जनगणना कराने पर देश टूटने की बात कहना पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी सोच को उजागर करता है, बल्कि इससे यह भी साबित होता है कि भाजपा को कभी भी पिछड़ा तथा अति पिछड़ा को मान सम्मान देने का नहीं रहा है, बल्कि आरएसएस के विचारधारा के अनुसार बंच ऑफ थॉट को लागू करने का रहा है जिसमें पिछड़ा, अति पिछड़ा तथा अनुसूचित जाति जनजाति हाशिए पर पर रखकर धार्मिक ध्रु्रवीकरण के माध्यम से राजनीतिक हित साधने का रहा है।
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राजद नेता एजाज अहमद ने सवाल किया कि पिछड़ा, अति पिछड़ा को क्या इस बात का भी अधिकार नहीं है कि वह यह जान सके कि उन्हें उनकी संख्या के अनुपात में उन्हें कितना अधिकार दिया जा रहा और उनके आर्थिक तथा सामाजिक व राजनीतिक भागीदारी में केंद्र और राज्य सरकार कितनी राशि खर्च करती है, जबकि उनकी आबादी सबसे अधिक है लेकिन उस अनुपात में उन्हें हिस्सेदारी नहीं दी जा रही है। पिछड़ा, अति पिछड़ा को अधिकार मांगना और अपनी संख्या जानना को भाजपा के नेता के द्वारा देश टूटने की संज्ञा देना कहीं ना कहीं पिछड़ा और अति पिछड़ों को मिलने वाले अधिकार से वंचित करने का यह एक मजबूत हथकंडा है। और इसे धार्मिक ध्रुवीकरण आधार देकर भाजपा समाज में नफरत पैदा करना चाहती है। इन्होंने नीतीश कुमार से अब इस मामले में स्पष्ट करने की मांग की। साथ ही बिहार विधानसभा से पारित प्रस्ताव के आलोक में केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए नेता प्रतिपक्ष के सुझाव प्रस्ताव के अनुसार सभी दलों के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी पर दबाव बनाने के लिए पहल की अपील की।