नई दिल्ली। वर्षों से लंबित पड़े बिहार की 94 हजार शिक्षक भर्ती मामले में पटना हाईकोर्ट ने अपनी सुनवाई पूरी करके राज्य सरकार को जल्द से जल्द बहाली करने का निर्देश दिया है।
बेरोजगारी को राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनाने वाले युवा नेता अनुपम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और शिक्षा मंत्री विजय चौधरी से अदालत का आदेश अविलंब लागू करने की मांग की है। साथ ही अनुपम ने शिक्षकों के 3,15,778 रिक्त पदों को जल्द भरने के लिए एसटीइटी समेत अन्य बहालियों को भी पूरा करने पर जोर दिया है। पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री यशवंत सिन्हा और केंद्रीय सूचना आयुक्त यशोवर्धन आजाद से लेकर देश के कई पत्रकारों, साहित्यकारों और नेताओं ने बिहार में शिक्षक भर्ती पर ‘युवा हल्ला बोल’ की आवाज से आवाज मिलाया। कुशल निर्देशन और ‘युवा हल्ला बोल’ की कर्मठ टीम के सहारे शिक्षक भर्ती का गंभीर मुद्दा अब बिहार ही नहीं, बल्कि झारखंड उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी प्रमुखता से उठाया जा रहा है।
पटना हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए युवा नेता अनुपम ने शिक्षक अभ्यर्थियों को याद दिलाया कि मंजिल अभी भी बाकी है। भले ही न्यायालय ने मामले में फैसला सुना दिया है लेकिन सरकारों के रवैय्ये पर भरोसा करना कठिन है। इसलिए जब तक सम्पूर्ण नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक निश्चिंत नहीं होना चाहिए। शिक्षा मंत्री बार बार न्यायालय की आड़ में छिपकर कहते रहे हैं कि जैसे ही कोर्ट फैसला देगा अगले ही दिन शिक्षकों की नियुक्ति कर देंगे। गेंद अब सरकार के पाले में है और बिहार के बेरोजगार युवाओं की शिक्षा मंत्री पर नजर है।
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बिहार में आज कई स्तर पर शिक्षक भर्तियां रुकी हुई हैं। पिछले दिनों बीएसटीइटी 2019 माध्यमिक शिक्षक बहाली के लिए भी हजारों अभ्यर्थी ट्विटर पर गुहार लगा रहे हैं। इसके अलावा बीएसटीइटी के अन्य शिक्षक अभ्यर्थी भी हैं जिनको पात्रता मिलने के बावजूद वर्षों से न्याय नहीं मिला है। अनुपम ने कहा कि बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था को वापिस पटरी पर लाने के लिए अत्यंत आवश्यक है कि तीन लाख से ज्यादा रिक्त पड़े पदों को तुरंत भरा जाए। शिक्षक भर्ती का मुद्दा सिर्फ बेरोजगारी मिटाने का ही संघर्ष नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने का भी आंदोलन है।