बरसाना की लट्ठमार होली देखने देश-विदेश से उमड़े श्रद्धालु

बरसाना की लट्ठमार होली देखने देश-विदेश से उमड़े श्रद्धालु

मथुरा। राधा रानी की नगरी बरसाने में विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली रसिया गायन के साथ के शुरू हुई। 16 श्रृंगार से होली के लिए सुसज्जित बरसाने की हुरियारिनों ने सोमवार शाम नंदगांव के हुरियारों पर प्रेम रस से भीगीं तड़ातड़ लाठियां बरसाईं तो माहौल देखने लायक था। रंगों से सराबोर आसमान और ढालों की ओट में हुरियारे प्रेम पगी लाठियों से बचते देख, ऐसा लगा जैसे रंगीली गली में द्वापर युग लीला सजीव हो उठी हो। शाम करीब 5ः30 बजे लट्ठमार होली खेली गई। नंदगांव के हुरियारों पर बरसाने की हुरियारिनों ने लाठियां बरसाई, जिन्हें देखने के लिए लाखों की तादाद में लोग उमड़ पड़े। आलम यह था कि छतों से लेकर सड़कों तक पैर रखने की जगह नहीं थी। योगी सरकार में आयोजित हुए रंगोत्सव 2024 में चहुंओर रंग से नहाए लोग ही नजर आ रहे थे।

हुरियारिनें सुबह से परंपरागत लहंगा- चुनरी पहनकर तैयारियों में जुटी रहीं। दोपहर करीब दो बजे कान्हा की प्रतीक ध्वजा लिए नंदगांव से हुरियारों के टोली आना शुरू हो गई। प्रिया कुंड पर बरसाना के गोस्वामी समाज के मुखिया के नेतृत्व में स्वागत किया गया और भांग की ठंडाई में केवड़ा, गुलाब जल और मेवा घोल कर हुरियारों को पिलाया। यहां हुरियारों ने अपने-अपने सिर पर पाग बांधी। जो बच्चे पहली बार होली खेलने आए, उनके पिता, दादा जब पाग बांध रहे थे तो लग रहा था जैसे अगली पीढ़ी को होली खेलने के लिए उत्तराधिकार दिया जा रहा हो। पाग बांध हुरियारे लाडली जी मंदिर पहुंचे।

दरसन दै निकरि अटा में ते, दरसन दै…गाते हुए हुरियारों ने ध्वजा को किशोरी जी के पास रख दिया। मंदिर परिसर में दोनों गांवों के गोस्वामियों ने समाज गायन में एक-दूसरे पर प्रेम भरे कटाक्ष किए। इसके बाद हुरिया रंगीली गली में पहुंचे तो, हुरियारिनें रंगेश्वर महादेव मंदिर और घरों के दरवाजे पर घूंघट की ओट में टोल बना कर खड़ी मिलीं। उन्हें देख हुरियारों ने पंचम वेद के पदों का गायन किया तो हुरियारिनों ने भी रसियों से जवाब दिया। सवा पांच बजे एक हुरियारिन ने हुरियारों को खदेड़ने के लिए लाठी मारी, जिसे बड़ी कुशलता से ढाल पर रोक लिया। श्री लाडली जी मंदिर से लेकर रंगीली गली तक राधा-कृष्ण के जयकारे गूंजते रहे। भक्ति और प्रेम के रंग में रंगने के लिए श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ उमड़ी कि मंदिर में पैर रखने तक की जगह नहीं थी।

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