हंगामे की भेंट चढ़ी, दिल्ली नगर निगम की संयुक्त सत्र

नई दिल्ली। दिल्ली में लगातार चल रही सीलिंग को लेकर दिल्ली नगर निगम के तीनों महापौरों ने दिल्ली के व्यापारियों को सीलिंग से बचाने के लिए शनिवार को संयुक्त सत्र बुलाई। इससे पहले की मुद्दे पर चर्चा हो आम आदमी पार्टी के नेताओं ने हंगामा शुरू कर दिया। भाजपा, आप और कांग्रेस के निगम पार्षद आपस में भीड़ गए, जिससे महापौरों को सदन की कार्यवाही आस्थगित करनी पड़ी। निगम ने धारा 74 के अंतर्गत प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए तत्कालिन 2007 में केन्द्र सरकार द्वारा मास्टर पलान 2021 को बनाते समय बढ़ी हुई व्यवसायिक और निर्माण को नजर अंदाज बताया गया, और उसे आनन फानन में बनाया गया, जिसकों लेकर आज दिल्ली के व्यापारियों के उपर तलवार लटका हुआ है। प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि 351 सड़कों को 2007 में ही दिल्ली सरकार के पास नोटिफाईड करने के लिए भेज दिया था परन्तु दिल्ली सरकार ने यह सड़के अभी तक नोटिफाईड नहीं किया है, यही नहीं दिन पर दिन कन्वर्जन चार्ज भी बढ़ता जा रहा है। सदन में बोलते हुए कांग्रेस के नेता ने कहा कि ‘आप’ के 20 विधायकों को आयोग्य करार देने से दिल्ली में उपचुनाव की स्थिति बन गया है और भाजपा इसी को मध्य नजर देखते हुए यह प्रस्ताव लेकर आया है, पिछले 10 सालों से नगर निगम में भाजपा है यह प्रस्ताव पहले क्यों नही लाया गया? कांग्रेस ने मांग की कि अब तक जितनी भी दुकाने सील हुई है उसे डी, सील किया जाए। कांग्रेस नेता मुकेश गोयल ने कहा कि भाजपा ने गंभीरता से काम नहीं किया, इनकी गलत व्याख्या के वजह से दिल्ली के व्यापारियों के उपर तलवार लटका हुआ है। आप और कांग्रेस ने मांग की, कि निगम के सदन में दिल्ली की सातों सांसदों को आना चाहिए। कांग्रेस नेता गोयल ने कहा कि अगर दिल्ली के सांसद और विधायक सदन में नहीं आ रहे तो उन्हें मनोनित क्यों किया गया। प्रस्ताव में तीनों निगमों के महापौरों ने दिल्ली सरकार से अनुरोध की, कि यह प्रस्ताव केन्द्रीय मंत्री शहरी विकास मंत्रालय को भेजा जाए ताकि दिल्ली की जनता को सीलिंग की समस्या से निजात मिल सके।

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