नई दिल्ली। विश्व युवा कौशल दिवस मनाने का मकसद युवाओं को रोजगार कौशल, अच्छा रोजगार और उद्यम कौशल प्रदान करने के रणनीतिक महत्व को समझना है। साथ ही, पूरी दुनिया में वर्तमान एवं भावी रोजगार की चुनौतियां दूर करने और बेरोजगारी की समस्या दूर करने में कौशल प्राप्त युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करना है। विश्व युवा कौशल दिवस 2020 का थीम है ‘स्किल्स फाॅर ए रिसिलियंट यूथ’ जो कोविड-19 महामारी की पृष्ठभूमि पर केंद्रित है। इसके परिणामस्वरूप बहुत-सी चुनौतियां हैं जैसे बेरोजगारी बढ़ना, डिजिटल कार्य प्रक्रिया का सामान्य चलन होना और नए युग की तकनीक अपनाना जिसके तहत मोबाइल टेक्नोलाॅजी, एआई, मशीन लर्निंग, हरित ऊर्जा, ड्रोन टेक्नोलाॅजी आदि विभिन्न अत्याधुनिक तकनीकियां निरंतर सीखने की आदत डालनी होगी।
विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार भारत 2027 तक दुनिया का सबसे बड़ा वर्कफोर्स हो सकता है। इसलिए स्कूल स्टेज से ही करिकुलम में स्किलिंग प्रोग्राम का समावेश करना महत्वपूर्ण है। इसके अभाव में शिक्षा जगत से प्राप्त ज्ञान-कौशल और उद्योग जगत की मांग के बीच तालमेल नहीं होने से सप्लाई चेन टूटने का खतरा दिख रहा है। लेकिन स्कूली शिक्षा में स्किल प्रोग्राम के समावेश से भारत भावी कार्यबल में शामिल होने के इच्छुक युवाओं के सपनों को पूरा करने में सक्षम होगा। आज पूरी दुनिया साॅफ्ट स्किल या रोजगार योग्य स्किल की बात करती है। इसकी वजह साफ है। कठिन या तकनीकी कौशल प्राप्त करने और सिखाने के साधन तो उपलब्ध हैं पर साॅफ्ट स्किल्स का संबंध चरित्र निर्माण, आपसी रिश्ते और व्यक्तित्व से है और आज इम्प्लायर साॅफ्ट स्किल्स को कई मायनों में बहुत अहम् मानते हैं जैसे लोगों के परस्पर संबंध, कार्मिक कायम रखना, नेतृत्व में सुधार और संगठन के अंदर एक सार्थक संस्कृति का विकास।
वाधवानी फाउंडेशन का ध्यान युवाओं को 21 वीं सदी का रोजगार कौशल देकर उन्हें अधिक सशक्त बनाने पर केंद्रित है ताकि वे परिवार के भरण-पोषण योग्य आमदनी सुनिश्चित करें। इसके लिए उन्हें उनकी मांग पर, एआई-सक्षम सुविधा का लाभ लेकर उच्च गुणवत्ता का कौशल सुलभतया उपलब्ध कराना है। फाउंडेशन ने व्यावसायिक करियर के लिए स्किलिंग को शॉप-फ्लोर ट्रेनिंग का अभिन्न हिस्सा बनाया है और यह इम्प्लायरों, व्यावसायिक प्रशिक्षण देने वालों और शिक्षा संस्थानों को रोजगार योग्यता प्रोग्राम लागू कर शिक्षण का बेहतर परिणाम देने में सक्षम बनाता है। वाधवानी फाउंडेशन के अध्यक्ष और सीईओ डॉ. अजय केला ने विश्व युवा कौशल दिवस पर कहा, ‘‘भारत की 1.3 अरब आबादी का आधा 26 वर्ष से कम आयु का है और हर वर्ष ्12 मिलियन युवा 18 वर्ष के हो जाते हैं। हमें 2055 तक इस तरह की जनसंख्या का बड़ा लाभ मिलता रहेगा। इस तरह भारत एचआर की वैश्विक शक्ति बन सकता है यदि हम कौशल उद्योग की मांग और शिक्षा संस्थानों से होने वाली आपूर्ति के बीच की कमी पूरी कर दें। कोविड-19 के दौर में डिजिटल न्यू नाॅर्मल हो गया है। वीडियो और मोबाइल की मदद से सीखने का काम कम लागत पर, विश्वसनीयता के साथ, बड़े स्तर पर और अधिक प्रभावी होगा जिससे कौशल संबंधी समस्याएं दूर होंगी। फाउंडेशन की खास पहल ‘वाधवानी अपरचुनीटी’ के तहत मल्टी-मीडिया सक्षम टेक्नोलाॅजी साॅल्यूशन विकसित किया गया है। साथ ही, 21 वीं सदी के रोजगार कौशल और स्वाध्याय शिक्षा पद्धति का ऑनलाइन इन-क्लास समावेश किया गया है।