छोटे भाई ने की दिल की बात, तेज भाई की सगाई और पिता जी की अनुपस्थिति
पटना। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव की सगाई बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय की पौत्री और पूर्व मंत्री चंद्रिका प्रसाद राय की पुत्री ऐश्वर्या राय से संपन्न हो हुई। पटना के मौर्या होटल में बुधवार को लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के बड़े पुत्र तेजप्रताप सगाई के बंधन में बंध गए। समारोह में दोनों परिवार तथा उनके करीबी लोग शामिल हुए। सगाई के मौके पर लालू यादव की कमी सभी को खल गई। राबड़ी देवी ने कहा कि पहली बार हमारे घर बहू आ रही है। खुशी का माहौल है। यदि लालू जी इस पल हमारे साथ होते तो महौल और अधिक खुशी भरा हो जाता। उम्मीद है कि वे शादी में मौजूद रहेंगे।
तेज प्रताप यादव की शादी अगले महीने 12 मई को होगी। शादी का आयोजन पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंउ में किया जायेगा। शादी को लेकर गेस्ट लिस्ट भी फाइनल हो गया है। वीआईपियों में कई दल के बड़े नेताओं का आना संभव है। दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल भी शामिल हो सकते
छोटे भाई ने की दिल की बात, तेज भाई की सगाई और पिता जी की अनुपस्थिति
यादव परिवार के छोटे बेटे ने फेसबुक पर शेयर कि दिल की बात हम सभी नौ भाई-बहनों ने जीवन के हर सफर की शुरुआत हमेशा हमने पिताजी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेकर ही की है, लेकिन कल मन थोड़ा व्यथित था कि तेज भाई के नए सफर की शुरुआत में उनका विराट व्यक्तित्व शारीरिक रूप से खुशी की घडी में हमारे साथ शरीक नहीं था।
सुख के क्षणों में हमने पिता की कमी महसूस की। हालाँकि मानसिक और वैचारिक रूप से सदैव वो हमारे अंग-संग रहते है।
बचपन से सुनते आया हूँ वो हमें अक्सर कहते है, जो जनसेवा को समर्पित हो उसका कोई निजी जीवन नहीं होता, निजी खुशियां नहीं होती, निजी दुःख नहीं होता। जन-जन के संघर्ष के आगे परिवार की खुशियों का कोई मोल नहीं है। भाई के सगाई समारोह में पिता जी की यही बात बार-बार याद आ रही थी। भाई के नए सफर पर पिता के आशीर्वाद का हाथ उनके सिर पर नहीं था, ये शायद पहली बार था। पिता की कमी बहुत खली, लेकिन उनकी ये सीख हमारे साथ रही की निजी सुख-दुःख से ऊपर होकर हमारा जीवन बिहार के लिए समर्पित है और रहेगा।
कई बार समझौते आपको और आपके परिवार को सुकून के पल और खुशियां दे जाते हैं । मेरे पिता ने आवाम के हितों से कभी समझौता नहीं किया। विकट से विकट परिस्थिति में भी भी अपने विचार, नीति और सिद्धांत को नहीं छोड़ा और यही कारण है कि सुखद क्षण में वो हमारे साथ नहीं है।
मुझे गर्व की अनुभूति होती है कि मैं एक ऐसे पिता का बेटा हूं जिसने अपना जीवन बिहार के लिए, बिहार के लोगों के लिए, शोषितों, पीड़ितों, वंचितो और दबे-कुचलों के लिए समर्पित कर दिया जिसे जेल जाना मंजूर था लेकिन झुकना नहीं।
बिहार की इस संघर्ष यात्रा में खुशी के पल भी कुछ उदास हैं लेकिन हमारे साथ हमारे पिताजी का दिया आत्मबल और विश्वास है। हम भी साधारण इंसान है इसलिए दुख हुआ लेकिन बिहार के लोगों के मान-सम्मान की लड़ाई मे यह दुख बहुत छोटा पड़ गया।