नई दिल्ली। डॉ. कृष्णा सक्सेना लिखित पुस्तक ‘ए बुके ऑफ फ्लावर्स’ का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को अपने निवास पर लोकार्पण किया। अंग्रेजी की वरिष्ठ प्रोफेसर डाॅ. कृष्णा की यह 9वीं पुस्तक है। वे वर्ष 1955 में लखनऊ, उत्तर प्रदेश से पीएचडी करने वाली पहली महिला हैं। पुस्तक के जरिए डॉ. सक्सेना ने उपाख्यानों की एक शृंखला पेश कर पाठकों को कहानियों से नैतिक सीख पाने को उत्साहित किया है। वे पाठकों पर अपने उपदेशात्मक विचार थोपने में विश्वास नहीं करती हैं। पाठकों को किसी खास रास्ते पर ले जाने के बजाय लेखिका उन्हें खुद अपना मार्गदर्शक बनने की प्रेरणा देती हैं। लेखिका के चुनिंदा उपाख्यानों में प्रत्येक के सार पर चिंतन के लिए पाठक प्रेरित हो जाते हैं।
डॉ. सक्सेना मानती हैं कि यह पुस्तक की संरचना ऐसी है कि पाठक खुद अपना सफर तय करने और और निजी अहसास तक पहुंचने और इससे प्रेरणा पाने के लिए उत्साहित होते हैं। मुझे विश्वास है कि पाठक पुस्तक का आनंद लेंगे और खुद को इससे जोड़ पाएंगे।
इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने कहा, ‘हम अक्सर सुनते हैं कि सीखने और लिखने की कोई उम्र नहीं होती है और यदि किसी शख्स ने इस कहावत को शब्द और भाव में चरितार्थ किया है तो वे हैं डॉ. कृष्णा सक्सेना। इस पुस्तक से डॉ. सक्सेना ने साबित कर दिया है कि उम्र तो सिर्फ एक आंकड़ा है। और मैं उनकी पुस्तक में पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इसमें तीन पीढ़ियों के नैतिक मूल्य हैं जो आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. कृष्णा सक्सेना का सबसे प्रेरक पहलू यह है कि वे इस उम्र में भी जुनून से लिखती हैं। उनका जीवन उनकी पुस्तक की तरह प्रेरक है।
डॉ. सक्सेना का शानदार शैक्षणिक कार्य जीवन रहा है और वे पूरे उत्तर प्रदेश की पहली, और भारत की भी गिनती की महिलाओं में एक हैं जिन्हांने 1955 में अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। अब तक वे विविध विषयों की 8 पुस्तकें लिख चुकी हैं।