भारतीय संस्कृति की महत्ता को संस्कृत के माध्यम से ही जाना जा सकता है: राज्यपाल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य में संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिये राज्य के राज्यपाल राम नाईक ने आज लोक भवन में आयोजित उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम् के सम्मान समारोह में अपना अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति की महत्ता को संस्कृत के माध्यम से ही जाना जा सकता है। इस भाषा ने जीवन मूल्यों की प्रतिष्ठा में बड़ी भूमिका निभायी है। संस्कृत भाषा, भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार का सशक्त माध्यम हो सकती है। संस्कृत देव भाषा है। इसका साहित्य अत्यन्त समृद्ध है। अपने साहित्य के माध्यम से संस्कृत भाषा सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के विद्वानों को इसके उत्थान के प्रति समर्पित होना चाहिए। संस्कृत साधकों की साधना से ही इस भाषा की विशेषता सामने आएगी तथा इसका प्रचार-प्रसार होगा। ‘सत्यमेव जयते’, ‘यतो धर्मस्य ततो जयः’ ‘धर्मचक्र प्रवर्तनाय’ आदि सूक्तियों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि संस्कृत की एक बड़ी विशेषता यह भी है कि इसमें कम शब्दों में पूरी बात कहने की शक्ति है।
इस अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि संस्कृत विश्व की अनेक भाषाओं की जननी है। इसकी तुलना किसी अन्य भाषा या बोली से नहीं की जा सकती। भारतीय संस्कृति का आधार संस्कृत है। इसके बगैर भारतीय संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती। संस्कृत के संरक्षण के लिए सरकार के साथ संस्कृत की परम्परा को भी दायित्व लेना होगा। राज्य सरकार संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए हर सम्भव सहयोग करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत बहुत ही समृद्ध भाषा है। इसमें सभी विषयों पर गहन जानकारी देने वाले ग्रन्थ रचे गए हैं। महर्षि बृहस्पति के विमानन शास्त्र तथा सुश्रुत के शल्य चिकित्सा सम्बन्धी ग्रन्थों का जिक्र करते हुए सीएम योगी ने कहा कि संस्कृत की अमूल्य धरोहरों को शोध के माध्यम से मानवता की सेवा के लिए सामने लाया जाना चाहिए।

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