नई दिल्ली। बीते शुक्रवार को लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को चुनाव आयोग ने अपना निर्णय लेते हुए आयोग्य ठहराया था। अब इस पर सियासत शुरू हो गई है, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने इसे भाजपा और आप पार्टी की साठ-गाठ बता रही है। माकन ने कहा कि 20 विधायकों के लाभ के पद को लेकर चल रहे मामले में चुनाव आयोग ने अपना निर्णय 22 दिसम्बर 2017 से पहले क्यों नही दिया। जब चुनाव आयोग ने दिल्ली के तीन राज्य सभा सीटों के लिए चुनाव की घोषणा की थी। मुख्य चुनाव आयोग तथा आम आदमी पार्टी में क्या समझौता हुआ था? भाजपा सरकार द्वारा मनोनीत चुनाव आयोग तथा आप पार्टी के बीच में क्या खिचड़ी पक रही थी? आप पार्टी को एक महीने का समय इसलिए दिया था ताकि उनके तीन राज्य सभा के उम्मीदवारों के चुनाव आसानी से हो सके। क्योंकि उनके तीन उम्मीदवारों में से एक एन.डी.गुप्ता भी थे जो कि केन्द्रीय वित मंत्री अरुण जेटली के नजदीकी माने जाते है। श्री माकन ने कहा कि चुनाव आयोग ने भाजपा के कहने पर ही आप पार्टी के 20 विधायकों को लाभ के पद पर आयोग्य ठहराने के मामले को राज्य सभा चुनाव के बाद महामहिम राष्ट्रपति को भेजा ताकि राज्य सभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी को टूटने से बचाया जा सके। श्री माकन ने कहा कि भाजपा, आम आदमी पार्टी को लिक्विड ऑक्सीजन में डालकर जीवित रखना चाहती है क्योंकि लिक्विड उनको जीने नही देगा और ऑक्सीजन उनको मरने नही देगी। श्री माकन ने कहा कि भाजपा को यह पता है कि वे अकेले कांग्रेस का मुकाबला नही कर सकते, इसलिए उनके लिए यह जरुरी हो जाता है कि वे आम आदमी पार्टी को जिंदा रखे ताकि कांग्रेस के वोट बंट सकें।
दिल्ली भाजपा प्रवक्ता हरिश खुराना ने माकन की टिप्पणी पर कहा है कि चुनाव आयोग जैसे संस्था पर इस तरह के आरोप लगाना कि भाजपा के इसारे पर काम कर रही है, दुख का विषय है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने खुद अपने आदमी सुशिल गुप्ता को सोची समझी रणनीति की तहद आप पार्टी के इशारे पर राज्य सभा भेजने का काम किया है, और वह एन.डी. गुप्ता एवं अरुण जेटली के नजदीकीयों की बात करते है, यह अजय माकन जैसे व्यक्ति को शोभा नहीं देता है।