न्यूज़ डेस्क,
नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम की महापौर प्रीति अग्रवाल ने आज चार मैकेनिकल रोड स्वीपर मशीने व 15 स्कीड स्टीयर लोडर्स मशीनों का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उपमहापौर विजय भगत, स्थायी समिति के अध्यक्ष तिलक राज कटारिया, नेता सदन जयेन्द्र डबास, निर्माण समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र खर्ब, स्थायी समिति के सदस्य, प्रमुख अभियंता विजय प्रकाश उपस्थित थे। इस मौके पर निगम आयुक्त, अतिरिक्त आयुक्त एवं इस विभाग से संबंधित एसी आॅटो गैर हाजिर रहे।
दिल्ली नगर निगम के पास इतना पैसा नहीं की कर्मचारि यों को वेतन दे सके। ऐसे में इन गाड़ियों को खरिदना निगम की मजबूरी है? नार्थ एमसीडी पहले भी चार मैकेनिकल रोड स्वीपर मशीने ला चुकी है, जो डीजल से चलती है। आज जो मशीने लाई गई है वह यूरो फोर की नहीं है, यानी दिल्ली ट्रास्र्पोट विभाग पर खड़ी नही उतरती है। अतः उपरोक्त और चार मशीनों को दिल्ली में चलाने के लिए उपराज्यपाल की मंजूरी लेनी होती है, क्योंकि ‘एनजीटी’ ने प्रदूषन वाली डीजल गाड़ीयों पर बैन किया हुआ है। हालाकि इस पर महापौर प्रीति अग्रवाल का कहना है की इन चार मैकेनिकल रोड स्वीपर मशीनों के लिए ‘एनजीटी’ से खास मंजूरी लिया गया है। अब सवाल यह है कि जहां एक तरफ दिल्ली में प्रदूषन को लेकर दिल्ली सरकार भी आॅड-इवन लागू कर चुकी है, और ‘एनजीटी’ ने भी इस पर खास संज्ञान लिया है ऐसे में इन मैकेनिकल रोड स्वीपर मशीनों को मंजूरी देना कितना जायज है।
निगम द्वारा मंगवाई गई एक मैकेनिकल रोड स्वीपर मशीनों की किमत तकरिबन 60 लाख है और इन गाड़ियों की चेचीस टाटा कंपनी की है, गाड़ीयों की बाॅडी कंपनी ने खुद राजस्थान के किसी डीलर से बनवाई है। अगर निगम चेचीस टाटा से खरीदता और बाॅडी टेंडर प्राक्रिया द्वारा काॅम्पटीटर रेट पर बाहर से बनवाता तो हर गाड़ी पर तकरिबन 20 लाख की बचत हो सकती है। एक स्कीड स्टीयर लोडर्स मशीनों की किमत तकरिबन 20 लाख है। अतः इस प्रकार निगम को तकरिबन 150 करोड़ का चुना लगा है। यही नहीं इन गाड़ियों को चलाने और रख-रखाव के लिए लगभग दो लाख रू. प्रती गाड़िया काॅट्रेक्टर को दिया गया है, जबकी निगम के पास अपना लगभग सौ चालक खाली बैठा हुआ है, जिनका 40 हजार वेतन हर महिने दिया जा रहा है।