नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मुलाकात किया। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. रवि वानखेडकर कहा कि इस मुलाकात से मेडिकल शिक्षा तथा पेशे को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि श्री नड्डा ने हालांकि अंतर मंत्रालयी समिति की सभी सिफारिशों पर एक समय सीमा के अंदर आईएमए की दीर्घकालिक मांगों को पूरा करने का वादा किया। लेकिन उन्होंने इस बैठक में एनएमसी विधेयक 2017 पर कोई चर्चा करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह विधेयक अभी लोकसभा में है।
डाॅ. वानखेडकर ने कहा, आईएमए मुख्यालय संसद में एनएमसी विधेयक की गतिविधियों पर गंभीरता से निगाह रखेगा। जैसा कि महापंचायत में तय हुआ था कि यदि लोकसभा द्वारा एनएमसी विधेयक चिकित्सा जगत पर जबरन थोपागया तो आईएमए तत्काल प्रभाव से देशभर में सभी आधुनिक चिकित्सा से जुड़े डाॅक्टरों की सेवाएं वापस ले लेगी।
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वानखेडकर ने कहा, केंद्रीय मंत्री ने अपने अधिकारियों के सहयोग से आईएमए की कई अन्य मांगों पर चर्चा की जो पिछले ढाई वर्षों से मंत्रालय में लंबित है। इन में पीसीपीएनडीटी अधिनियम में संशोधन, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में मुआवजे की सीमा, क्लिनिक प्रतिष्ठान अधिनियम में अस्पताल के खिलाफ हिंसा का केंद्रीय कानून और इसमें संशोधन जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। आईएमए अध्यक्ष ने सरकार को बताया कि एनएमसी विधेयक 2017 का मौजूदा स्वरूप अस्वीकार्य है और यदि इसमें जरूरी बदलाव नहीं किए गए तो आईएमए को सीधी कार्रवाई करने को मजबूर होना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि आईएमए किसी भी रूप में मिश्रितचिकित्सा को खारिज करती है। उन्होंने सरकार से निजी मेडिकल काॅलेजों की 85 फीसदी सीटों के लिए शुल्क निर्धारित करने की मांग की।