केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री ने लगाया आरोप कहा, किसानों को गुमराह कर रही है कांग्रेस

कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि किसान अब अपनी उपज कहीं से भी बेच सकते हैं, चाहे घर हो, खेत हो, वेयरहाउस हो या शीतगृह हो। मंडी के बाहर बेचे जाने वाले कृषि उत्पादों पर नहीं है कोई खरीद और बिक्री कर

यु.सि. नई दिल्ली। किसानों की समस्या को लेकर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कांग्रेस पार्टी पर गंभीर आरोप लगाया हैं। केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस शासित राज्यों में किसान ‘दिवालियापन’ की ओर बढ़ रहा है तथा विकास में पिछड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्थान में कांग्रेस किसानों का पूरा कर्ज माफ करने और बेरोजगार युवाओं को रोजगार भत्ता देने के वादे पूरे नहीं कर पाई है।

गौरतलब है कि रणदीप सुरजेवाला ने पिछले दिनों कहा था कि मोदी सरकार पहले जमीन हड़पने का अध्यादेश लाई और अब खेती हड़पने के तीन कानून लाई है। इसका जवाब देते हुए केंद्रीय कृषि कैलाश चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले किसानहित एवं राष्ट्रहित में तीन अध्यादेशों को मंजूरी दी थी जिनमें ‘किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, ‘किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर समझौता अध्यादेश’ तथा ‘आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश’ शामिल हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को अभी तक फसलों को अपने दामों पर बेचने की स्वतंत्रता नहीं थी। उन्होंने कहा, किसानों को मंडी में जाना पड़ता था और लाइसेंस धारक उनकी फसलें खरीदते थे और वे उनकी उपज का दाम तय करते थे।

श्री चौधरी ने कहा, ‘‘किसानों की क्या गलती है और उन पर इस तरह की पाबंदी क्यों?’’ उन्होंने कहा कि किसान अब अपनी उपज कहीं से भी बेच सकते हैं, चाहे घर हो, खेत हो, वेयरहाउस हो या शीतगृह हो। मंडी के बाहर बेचे जाने वाले कृषि उत्पादों की खरीद और बिक्री पर कोई कर नहीं है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि कांग्रेस के लोग अध्यादेशों के मुद्दे पर किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
किसान को दिया फसल मूल्य तय करने का अधिकार

केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि हमने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कांट्रैक्ट फार्मिंग को लागू किया गया है। इसमें कोई भी किसान अपना अच्छा बुरा देखकर ही दाम तय करेगा। यदि किसी उपज के लिए एग्रीमेंट 100 रुपये का हुआ और उसका रेट मार्केट में कम हो गया तो भी ट्रेडर को खरीदना ही पड़ेगा। यदि दाम 130 रुपये हो गया तो किसान अपना फैसला ले सकता है कि वो किसे बेचे। हम तो किसानों के पक्ष में फैसला ले रहे हैं। कृषि क्षेत्र में सुधार कर रहे हैं जबकि कुछ ताकतें हैं कि भ्रम फैलाने से बाज नहीं आ रही हैं।

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