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प्रतापगढ़. रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raja Bhaiya) के खिलाफ प्रतापगढ़ की कुंडा विधानसभा सीट (Kunda Assembly Seat) से गुलशन यादव (Gulshan Yadav) को मैदान में उतारकर समाजवादी पार्टी से सबको हैरान कर दिया है. दरअसल प्रतापगढ़ जिले और खासकर कुंडा विधानसभा सीट पर रघुराज प्रताप सिंह का वर्चस्व रहा है. वह वर्ष 1993 से ही यहां निर्दलीय चुनाव लड़ते आ रहे हैं. पिछले 15 वर्षों से सपा ने राजा भैया के खिलाफ अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारा था. ऐसे में सपा (Samajwadi Party) के इसे कदम से सबका ध्यान खींचा है. तो आइए जानते हैं आखिर कौन हैं गुलशन यादव, जिसे सपा ने कुंडा से राजा भैया के खिलाफ मैदान में उतारा है.

बताया जाता है कि गुलशन यादव को एक वक्त राजा भैया के बेहद करीबियों में गिना जाता था. कहा जाता है कि राजा भैया के वर्दहस्त में ही गुलशन यादव को नाम और पहचान मिली. गुलशन यादव के खिलाफ एक दर्जन से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं. प्रतापगढ़ में डिप्टी एसपी जियाऊल हक हत्याकांड में भी गुलशन का नाम आया था. इस मामले में गुलशन यादव के साथ राजा भैया भी नामजद थे.

प्रपातगढ़ के हथिगवां थाना क्षेत्र के बलीपुर गांव में चुनावी रंजिश के चलते 2 मार्च 2013 को प्रधान नन्हे यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना से आक्रोशित लोगों ने आरोपित कामता पाल के घर धावा बोलकर उसके घर में आग लगा दी. घटना की जानकारी मिलने पर तब कुंडा के सीओ रहे जियाउल हक पुलिस फोर्स के साथ घटना स्थल पर पहुंच गए और गुस्साई भीड़ को रोकने की कोशिश की.

इसी बीच प्रधान के भाई सुरेश यादव ने उनके सिर पर बंदूक की बट से हमला कर दिया. प्राप्त जानकारी के मुताबिक डीएसपी जियाउल हक ने यादव ने बंदूक छीनने की कोशिश की, लेकिन इसी दौरान बंदूक से फायर हुए एक गोली से सुरेश यादव की मौके पर ही मौत हो गई. ससे लोगों का गुस्सा और भड़क गया और उन्होंने हक को पहले बुरी तरह पीटा और फिर गोली मारकर हत्या कर दी थी.

इस मामले में डीएसपी जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद ने हथिगवां थाने में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके करीबियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था, जिसमें गुलशन यादव का भी नाम था. यह मामला तब काफी सु्र्खियों में रहा था और तब अखिलेश यादव सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राजा भैया को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था.

फिल्मी स्टाइल में जेल से भागने की कोशिश

गुलशन यादव का नाम बेहद फिल्मी स्टाइल में जेल से भागने की कोशिश के बाद खूब चर्चा में आया. दरअसल गुलशन को जब पेशी के लिए अदालत ले जाया जा रहा था, तभी उसके हथियारबंद गुर्गों ने पुलिस दस्ते पर फायरिंग करते हुए उसे वहां भगाने की कोशिश की थी. वहीं इस मामले में गुलशन यादव को अदालत ने जब बरी किया तो उसके सैकड़ों समर्थक सड़क पर उतर आए थे और ‘जेल के ताले टूट गए गुलशन भइया छूट गए’ जैसे नारों से उसका स्वागत किया था.

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