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Famous Food Joints Of Delhi-NCR: नाश्ते के रूप में पोहा ने देश में जो स्थान ग्रहण किया है, वह शायद कोई और नाश्ता होगा. भारत की जो खानपान की प्रकृति है, उस हिसाब से अधिकतर लोग नाश्ते के रूप हल्के खाने को प्राथमिकता देते हैं और पोहा हल्के नाश्ते का सबसे अच्छा उदाहरण है. पुराने दौर में जब महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के अधिकतर इलाके एक थे, तब से नाश्ते के रूप में पोहा का चलन है. पारंपरिक रूप से पोहा चिड़वे से तैयार किया जाता है और स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें मूंगफली, कढ़ीपत्ता और राई डाली जाती है. कई राज्यों में पोहे को परोसने का तरीका अलग है. आप अगर उत्तर प्रदेश और राजस्थान में पोहे का स्वाद चखेंगे तो उसमें मसालेदार भुजिया डाली जाती है और स्वीट डिश के तौर पर जलेबी और इमरती दी जाती है. कहीं-कहीं पोहे में उबले आलू का भी संगम देखने को मिलेगा. पोहे में और स्वाद भरना है तो उसमें मटर और अन्य सब्जियां डालकर भी रंगीन बनाया जा सकता है. कुल मिलाकर नाश्ते के रूप में पोहे का कोई जवाब नहीं.
पोहा खिलाने की शुरुआत करने वाला यह भी एक ठिया है
आज हम आपको पोहे के एक ऐसे ही ठिए (दुकान) पर लिए चल रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि दिल्ली के लोगों को पोहा खिलाने की शुरुआती दुकानों में यह ठिया भी शामिल है. यमुनापार का लक्ष्मी नगर इलाका सबसे पुराने इलाकों में से एक है. यही पर मंगल बाजार स्थित एफ ब्लॉक में जैन पोहा सेंटर की दुकान है. अलसुबह ही ताजा और गरमा-गरम पोहा यहां पर मिलना शुरू हो जाता है. लोग इस दुकान के पोहे के इतने दीवाने हैं कि दोपहर तक दुकान पोहे से खाली हो जाती है. दुकान के मालिक मध्य प्रदेश स्थित इंदौर के रहने वाले हैं और माना यह भी जाता है कि पोहे का असली स्वाद यहीं से निकलकर आया है. इंदौर के नाम को कायम रखने के लिए ये लोग आज भी पोहे के चिड़वा को आज भी इंदौर से मंगवाते हैं.
बहुत कुछ डाला जाता है पोहे में, तभी स्वाद उभरकर आता है
आप सुबह जब इस दुकान पर पहुंचेंगे तो कच्चे पोहे (चिड़वे) पर राई और हरी मिर्च का तड़का लगा दिया जाता है. उसका स्वाद बढ़ाने के लिए उसमें हल्दी, साबुत हरी मिर्च, हरा धनिया, उबले मटर व उबले-मसले आलू डालकर एक परात में सजा दिया जाता है. फिर गैस चूल्हे के ऊपर पानी से भरा पतीला रख दिया जाता है. जब पानी खोलने लगता है तो उसके ऊपर परात रख दी जाती है, इससे पोहा गर्म रहता है. आपके डिमांड करते ही परात से पोहे को निकालकर दोने में डाला जाता है.
उसमें कटा टमाटर, प्याज, नमक और मसाले डाले जाते हैं. इन सबके ऊपर तली हुई मूंगफली बिछाई जाती है. इन सबके ऊपर नींबू निचोड़कर पेश कर दिया जाता है. अगर आप पोहे में कुछ कुरकुरापन चाहते हैं तो उसमें बारीक-नमकीन सेव डलवाए जा सकते हैं. फुल प्लेट पोहे की कीमत 50 रुपये और हाफ की कीमत 30 रुपये है. दोपहर तक ये पोहा-पुराण समाप्त हो जाता है. उसके बाद कुछ अन्य व्यंजन यहां खाए जा सकते हैं.
इंदौर के पोहे का स्वाद दिल्ली तक ले आए
पहले इस स्वादिष्ट पोहे को रेहड़ी पर बेचा जाता था. वर्ष 2006 में पद्मचंद जैन ने इसे बेचने की शुरुआत की. वह इंदौर के रहने वाले थे. उन्हें इस बात की जानकारी थी कि कैसे इस पोहे को स्वादिष्ट और चटपटा बनाकर उसे दिल्ली वालों के मुंह लगाना है. आज उनके दो बेटे अंकित जैन व जितेंद्र जैन इस खानदानी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. उनका कहना है कि हमारे पोहे की विशेषता यह है कि ये सही मायने में नाश्ते के लिए हल्का है और स्वाद तो बेमिसाल है ही. उनका यह भी कहना है कि नाश्ते के रूप में इस पोहे में शरीर के लिए पौष्टिक तत्व भी खूब होते हैं. अब इनका एक ठिया लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशन पर भी सजता है.
नजदीकी मेट्रो स्टेशन: लक्ष्मी नगर
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