प्रमोद गोस्वामी,
पिछले कई दिनों से कुछ लोगों के पोस्ट और लेखनी पढ़ रहा हूं, इनके एक-एक शब्द में देश और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जहर भरा हुआ है। ये वो लोग है जो राजनीति और पत्रकारिता से भी ताल्लुक रखते है। इन वामपंथी विचार धारा वाले मानसिक रोगियों को लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी देश के लिए कुछ नहीं कर रहे है। आखिरकार क्यों नही बोले, उन्हें इन्हीऔ कामों के लिए मोटी रकम जो मिलती हैं। खुद को राजनेता एवं पत्तलकार बताने वाले मेरी नजर में देश के दुश्मन हैं जो समाज में सिर्फ गंदगी फैलाने का काम करते है। देश विरोधियों के चंदे पर देश को तोड़ने का काम करते है। धर्मनिरपेक्षता की आड़ में समाज को बांटने का काम करते है।
कोरोना जैसे खतरनाक वायरस से देश ही नही पूरी दुनिया चिंतित है, इस महामारी से केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन इस पर भी छद्मसेक्युलरिज्म की दुहाई देने वाले तथाकथित बुद्धिजीवियों को राजनीति लगती है। ऐसे संकट की घड़ी में भी सरकार को घेरने से गुरेज नहीं करते। मोदी के राजनीतिक विरोधी ये बुद्धिजीवी हर समय सरकार के खिलाफ आग उगलने का मौका तलाशते रहते हैं। मौका मिला नहीं कि अपनी काबिलियत दिखाने में जुट जाते हैं। इनमें ज्यादातर वो लोग हैं जो किसी न किसी राजनीतिक दलों और समाचार संस्थानों से बेइज्जत कर के निकाले गए हैं, जो आज अपनी यूट्यूब चैनल और राजनीतिक पार्टियां बनाकर देश में जहर घोलने का काम कर रहे हैं।
मोदी सरकार जैसे ही इन जाहिलों के खिलाफ कड़े एक्शन लेती है तो असहिष्णुता का नारा लगाने वाले आ जाते है। अवॉर्ड रिटर्न गिरोह को तो बस मौका चाहिए। ऐसे लोगों की पोस्ट और लेखनी पर गौर करें तो सब समझ आ जाएगा।
इन्हें हैरानी और परेशानी है कि मौत का आंकड़ा कम कैसे? इनकी मानें तो सरकार सबकी जांच ही नहीं कर रही। सरकार ये नहीं कर रही, तो सरकार वो नहीं कर रही। ऐसे लोग समाज को सही संदेश देने की जगह आज भी राजनीति ही कर रहे, जबकि सरकार और उसकी एजेंसियों को दैनिक मजदूरों के बारे में पता है, वह इनके लिए उपाय भी कर रही।
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