RBI द्वारा बढ़ाई गई ब्याज दरें म्यूचुअल फंड निवेश (Mutual Fund Investments) को कैसे प्रभावित कर सकती हैं?

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नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने 4 मई, 2022 को रेपो ब्याज दर को 40 बेसिस पॉइंट (बीपी) बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया. ऐसा महंगाई को काबू में रखने के लिए किया गया है. जाहिर है कि इससे कर्ज महंगा होगा और लोग अपने खर्चों पर लगाम लगाने का प्रयास करेंगे

मिंट में छपे एक लेख में फिनमैप के सह-संस्थापक और सीपीओ प्रमोद चंद्रयान ने कहा है, “इस दर वृद्धि से मध्यम स्तर के व्यवसाय, उपभोक्ता और ऋण लेने वाले खासा प्रभावित होंगे. इससे कर्ज पर ब्याज में वृद्धि होगी. एक औसत निवेशक का कुल बजट और बचत तनाव में रहेगा क्योंकि उसे कर्ज पर अधिक ब्याज चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.”

दर वृद्धि का आपके म्यूचुअल फंड निवेश पर क्या प्रभाव होगा?

फिसडम के सह-संस्थापक और मुख्य व्यवसाय अधिकारी आनंद डालमिया ने कहा है कि दर वृद्धि का प्राथमिक उद्देश्य एक सख्त मौद्रिक वातावरण है जहां लिक्विडिटी घटा दी गई है और उधार लेना अब सस्ता नहीं है. ज्यादातर मामलों में कर्ज से दबी बैलेंस शीट वाली कंपनियों का मुनाफा प्रभावित होगा. उन्होंने कहा है कि ऐसी संवेदनशील कंपनियों में निवेश करने वाले इक्विटी म्युचुअल फंडों का नेट असेट वैल्यू पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

डेट म्यूचुअल फंड का क्या होगा?

आनंद डालमिया ने कहा है कि बढ़ी हुई अस्थिरता के कारण छोटी अवधि वाले डेट फंड की ओर रुख करना चाहिए जिनकी औसत परिपक्वता सीमा 2.5 साल हो. उन्होंने कहा कि छोटी अवधि वाले पोर्टफोलियो निवेशक को लगातार निवेश करने और उच्च दरों पर पुनर्निवेश करने की क्षमता प्रदान करते हैं. चुनिंदा बैंकिंग और पीएसयू डेट फंड उच्च क्रेडिट गुणवत्ता और अवधि जोखिम-अनुकूलित पोर्टफोलियो का एक मजबूत मिश्रण प्रदान करते हैं. प्रमोद चंद्रयान ने कहा कि सबसे कम परेशानी उन लोगों को होगी जो लार्ज कैप फंड में निवेश करते हैं क्योंकि ये फंड उन कंपनियों में निवेश किए जाते हैं जो नकदी से भरपूर होती हैं और उच्च ब्याज दर पर ऋण लिए बिना प्रबंधन कर सकती हैं.

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क्या इक्विटी फंड में निवेश घटाएं

आनंद डालमिया ने कहा कि जब तक किसी के रणनीतिक एसेट एलोकेशन में बदलाव की आवश्यकता के कारण निवेश प्रोफाइल में कोई बदलाव नहीं होता तब तक निर्धारित एसेट एलोकेशन में बदलाव की कोई आवश्यकता नहीं है.

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