सुबह और शाम की एक्सरसाइज का फायदा (Benefits of Morning and Evening Exercise)

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Benefits of Morning and Evening Exercise: सुबह की एक्सरसाइज के फायदे(Benefits of excercise) तो हमेशा से ही लोगों को गिनाएं जाते रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक्सरसाइज का समय, मतलब जिस वक्त आप एक्सरसाइज करते हैं, यानी सुबह-शाम या दोपहर, ये भी काफी महत्व रखता है. एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि जिस वक्त आप एक्सरसाइज करते हैं उससे ही उसका प्रभाव तय होता है. दरअसल, साइंटिस्ट अभी तक इस बात से अनजान हैं कि एक्सरसाइज के टाइम (सुबह-शाम) को लेकर उसका असर अलग-अलग क्यों होता है. इसलिए इसकी समझ विकसित करने के लिए हाल ही में वैज्ञ3निकों की एक टीम ने अलग-अलग समय पर की जाने वाली एक्सरसाइज के प्रभाव को लेकर एक डीप स्टडी की है.

इस स्टडी (Study) में दर्शाया गया है कि अलग-अलग टाइम पर की जाने वाली एक्सरसाइज की वजह से शरीर के अंग किस प्रकार से खास तरीके से स्वास्थ्यवर्धक सिग्नल मॉलीक्यूल (healthy signal molecule) पैदा करते हैं. मतलब, इस स्वास्थ्यवर्धक सिग्नल मॉलीक्यूल का निर्माण एक्सरसाइज के समय से प्रभावित होता है. इन सिग्नलों को हेल्थ, नींद, मेमोरी पावर, एक्सरसाइज परफॉर्मेंस और मेटाबोलिक होमियोस्टैसिस (Metabolic Homeostasis) स्थितियों से निपटते हुए व्यवस्था सही रखने पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. इस स्टडी का निष्कर्ष सेल मेटाबॉलिज्म (cell metabolism) जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

 

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क्या कहते हैं जानकार

करोलिंस्का इंस्टीट्यूट (Karolinska Institutet) और यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन के नोवो नोर्डिक्स फाउंडेशन सेंटर फॉर बेसिक मेटाबॉलिक रिसर्च (CBMR) की प्रोफेसर जुलीन आर. जीराथू (Juleen R. Zierath) ने बताया कि एक्सरसाइज का टाइम किस तरह से अलग-अलग प्रभाव पैदा करता है, इसकी बेहतर समझ से मोटापे और टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों समेत अन्य लोगों की मदद की जा सकती है, ताकि उन्हें एक्सरसाइज का ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले.

उन्होंने आगे कहा कि लगभग सभी कोशिकाएं (सेल्स) अपनी जैविक प्रक्रिया (biological process) को 24 घंटे में रेगुलेट करती हैं, इसे सर्कैडियन रिदम (circadian rhythm) कहते हैं. इसका मतलब ये है कि एक्सरसाइज के समय के आधार पर विभिन्न ऊतकों (different tissues) की संवेदनशीलता अलग-अलग होती है.

कैसे की गई स्टडी

रिसर्चर्स की इंटरनेशनल टीम ने इसका व्यापक असर जानने की कोशिश की. इसके लिए रिसर्चर्स ने चूहों पर एक स्टडी की. जिसकी शारीरिक गतिविधियां तड़के (Early Morning) और देर रात शाम में ज्यादा होती हैं. इनके ब्रेन, हार्ट, मांसपेशियों, लिवर और फैट के टिशूज के सैंपल लेकर मास स्पेक्ट्रोमेट्री (mass spectrometry) की मदद से विश्लेषण किया. इससे साइंटिस्टों को टिशूज में सैंकड़ों तरह के मेटाबोलाइट्स और हार्मोन सिग्नलिंग मॉलीक्यूल्स के बारे में जानने का मौका मिला. इससे विभिन्न समय पर एक्सरसाइज से होने वाले बदलावों को मॉनीटर किया जा सका.

ये एक पहला व्यापाक अध्य़यन (comprehensive study) है, जिसमें विभिन्न ऊतकों (different tissues) पर टाइम और एक्सरसाइझ आधारित मेटाबॉलिज्म पर पड़ने वाले असर को समेटा गया है, टिशू किस प्रकार से आपस में संवाद करते हैं, इसकी जानकारी से खास टिशूज के सर्कैंडियन रिदम की गड़बड़ियों को सुधारा जा सकता है, सर्कैंडियन रिदम में गड़बड़ी के कारण मोटापा और टाइप2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है.

अध्ययन की सीमाएं

इस स्टडी की विभिन्न सीमाएं हैं. चूंकि ये प्रयोग चूहों पर किया गया है, जिसमें इंसानों के साथ बहुत सारी जेनेटिक, फिजियोलॉजिकल और व्यवहार जन्य समानताएं होती हैं, लेकिन इनके साथ ही अहम भिन्नताएं भी हैं. उदाहरण के लिए चूहा रतिचर प्राणी (animal species) है और उसके व्यायाम भी ट्रेडमिल रनिंग तक ही सीमित रहे, जिसके परिणाम कठिन व्यायाम से अलग हो सकते हैं. इसके अलावा इस स्टडी में लिंग, उम्र तथा बीमारियों पर विचार नहीं किया गया है. स्टडी की इन सीमाओं के बावजूद ये इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके आधार पर आगे की स्टडी ये समझने में मददगार हो सकती हैं कि यदि एक्सरसाइज का समय ठीक किया जाए, तो ये किस प्रकार से हेल्थ में सुधार लाने में भूमिका निभा सकती है.

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