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Famous Food Joints In Delhi-NCR: छोले-भठूरे एक ऐसा आइटम है, जिसे देखते ही खाने के लिए मन ललचाने लगता है. गर्म तेल में फूलकर निकाले गए भठूरे और साथ में गरमा-गरम छोले दिल-दिमाग और पेट तीनो को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. लेकिन सवाल खड़ा होता है कि खाने के बाद यह समय पर हजम तो हो जाएंगे न? ऐसा न हो कि घंटों पेट फूला सा रहे और हाजमे की समस्या पैदा हो जाए? अगर ऐसा हुआ तो छोले-भठूरे का मजा किरकिरा हो जाएगा. लेकिन दिल्ली में ऐसे ‘कारीगर’ छोले-भठूरे वाले भी हैं जो इस बात का खास ध्यान रखते हैं कि उनकी डिश खाने में स्वादिष्ट तो हो, साथ में हाजमेदार भी हो. इसके लिए वह भारतीय मसालों का ऐसा मिश्रण मिलाते हैं कि छोले-भठूरे ‘फूल’ बन जाते हैं. आज हम आपको दिल्ली में ऐसी ही छोले-भठूरे की दुकान पर ले चले रहे हैं.
ब्रंच में छोले-भठूरे और दोपहर बाद नाश्ते में बहुत कुछ
साउथ दिल्ली का लाजपत नगर इलाका पंजाबी-रिफ्यूजी लोगों के लिए जाना जाता है. लेकिन अब यहां की आबादी मिक्स हो चली है और यहां रिहायशी इलाकों के अलावा बड़े बाजार और मार्केट्स भी हैं. लाजपत नगर में ओल्ड डबल स्टोरी के पास गुप्ता मार्केट में है ‘बाबा नागपाल कॉर्नर’ की दुकान जहां के छोले-भठूरे खासा नाम कमा रहे हैं. अगर आपको सही मायनों में पंजाबी स्वाद से भरपूर और स्वादिष्ट छोले-भठूरे खाने हैं तो इस दुकान से बेहतरीन छोले-भठूरे की ऐसी कोई दुकान या रेस्तरां साउथ दिल्ली में नहीं मिलेगा.
छोले-भठूरे के साथ-साथ इस दुकान की छोले-पूरी भी खासी नाम कमा रही है तो छोले-चावल, शाही पनीर- चावल और राजमा-चावल भी आपको अपनी ओर आकर्षित करेंगे. खास बात यह है कि सुबह से लेकर लंच टाइम तक आपको यह ब्रंच (Brunch) मिलता है और उसके बाद सही मायनों में नाश्ता, जिसमें दाल समोसा, कचौड़ी आदि शामिल है.
छोले-भठूरों को हाजमेदार बनाने के लिए मसालों का विशेष मिश्रण
अब छोले-भठूरे की कहानी सुनिए. पहले यहां हमेशा स्टील की एक ही थाली में छोले-भठूरे सर्व किए जाते थे अब कोरोना काल के चलते डिस्पोजेबल प्लेट में उसे पेश किया जाता है. आप टोकन लीजिए फिर ऑर्डर दीजिए. हम आपको बता ही चुके हैं कि इस दुकान में छोले-भठूरे को हाजमेदार बनाने के लिए खासी मेहनत की जाती है. पहले छोले की सुनिए. कसूरी मैथी, जीरा, हल्दी और अजवायन को घंटों उबालकर उसका शोरबा (ग्रेवी) बनाया जाता है. इस शोरबे को मसालेदार सूखे छोलों में डालकर देर तक गरम किया जाता है. यही शोरबा छोलों को स्वादिष्ट व हाजमेदार बना देता है. भठूरे की स्टफिंग में क्रश पनीर, बारीक कटा हरा धनिया और सौंफ पाउडर मिलाया जाता है.
नतीजा यह निकलता है कि भठूरे फूले हुए तो होते हैं, साथ में मुलायम व हाजमेदार भी बन जाते हैं. इन गरमा-गरम छोले-भठूरे के साथ कटी प्याज, हरी मिर्च व आंवले का अचार भी सर्व होता है. छोले-भठूरे खाइए या छोले-पूरी, आनंद पूरा मिलेगा. इनकी एक प्लेट 100 रुपये की है. ब्रंच में इनके अलावा राजमा चावल, शाही पनीर-चावल व छोले-चावल भी मिलते हैं. रविवार को स्पेशल पालक पनीर बनाई जाती है. इन सभी की कीमत 80 से 100 रुपये के बीच है.
क्रिकेटर भी दीवाने हैं इनके छोले-भठूरों के
दोपहर 3 बजे यह सब मसला निपट जाता है. फिर शाम 4 बजे नाश्ते का दौर शुरू होता है जो 7 बजे तक चलता है. इनमें आलू वाले समोसे, स्पेशल दाल समोसा व कचौड़ी भी मिलेगी. इनके साथ आलू की चटपटी सब्जी भी मिलती है. इनकी कीमत 30 से 40 रुपये प्लेट है. इस दुकान को वर्ष 1996 में नारायण दास सोनी ने शुरू किया था. उनका एक ही टारगेट था कि कैसे इस भारी-भरकम आइटम को स्वादिष्ट के साथ-साथ हाजमेदार बनाया जाए. लगन और तजुर्बे के साथ उन्होंने विशेष मसालों का मिश्रण बना ही लिया जो आज तक चल रहा है. अब इस दुकान को उनके दोनों बेटे नरेश सोनी और लोकेश सोनी चला रहे हैं. उनका कहना है कि क्रिकेटर मनोज प्रभाकर, अजय जडेजा, वीरेंद्र सहवाग भी उनके छोले-भठूरे का मजा ले चुके हैं. दुकान सातों दिन खुलती है.
नजदीकी मेट्रो स्टेशन: मूलचंद
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