‘त्योहार आपको आपके परिवार के करीब लाने का एक तरीका है।’
हमारा भारत विविध संस्कृतियों और त्योहारों का देश है। त्योहार हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। फिर चाहे वे धार्मिक, राष्ट्रीय, फसलों की कटाई या मौसमी हों, हमारे देष के लोग खुशी, जश्न, भावना, जोश और एकजुटता तथा समरसता की सच्ची भावना का प्रदर्शन करते हैं। ऐसा ही एक त्योहार है- रंगों का त्योहार होली, जो हमारे जीवन में जीवंतता घोलती है। यह जीवंत उत्सव प्रेम और भाईचारे का त्योहार है। इस दिन सभी एक-दूसरे से मिलते हैं, हंसी-ठिठोली करते हैं, खेलते हैं और सभी बैर भूलकर शांति एवं सद्भाव से एक-दूसरे को गले लगाते हैं। इस खुशी के मौके पर हर कोई पूरे उत्साह और दिल से इसमें शामिल होते हैं। इस त्योहार की ऊर्जा और गतिशीलता में हरेक व्यक्ति डूबा होता है, जिससे दिन के अंत में वे थक से जाते हैं और सुस्ती छा जाती है। हर किसी पर त्योहार की उमंग छाई रहती है, जिससे सुस्ताने या आराम करने का किसी को समय नहीं मिल पाता है। बहुत सारे लोग और हमारे छोटे बच्चे इस जश्न के दौरान सबसे ज्यादा उत्साहित रहते हैं।
इसके परिणामस्वरूप इस त्योहार से थकान और तनाव महसूस होता है, और अगर इस पर प्रभावी तरीके से दूर करने पर ध्यान नहीं दिया जाए तो इससे दबाव और अवसाद को बढावा मिलता है, खासतौर पर छोटे बच्चों के मामले में। इसलिए एक अभिभावक होने के नाते मैं इस अवसर पर आपके साथ अपने विचार साझा करना चाहती हूं और होली के उमंग के बाद खुद को और साथ ही साथ छोटे बच्चों को मज़बूत और उनमें स्फूर्ति का संचार करने के लिए कुछ सुझाव देना चाहती हूं।
त्योहार के बाद के लिए व्यवस्थित योजना बनाएं – बच्चे त्योहारी मौसम के दौरान काफी उत्साहित रहते हैं, क्योंकि उन्हें अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ मिलने-जुलने का मौका मिलता है। त्योहार के खत्म होने के बाद हम सभी अपने नियमित दिनचर्या में लौट आते हैं, लेकिन हमारे बच्चे ऐसा नहीं कर पाते। वे अकेला और उदास महसूस करते हैं क्योंकि उन्हें अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की याद सताने लगती है। ऐसे में उन्हें तुरंत उनकी दिनचर्या में लौटने के लिए दबाव देने के बजाय, माता-पिता को उन्हें उनके नियमित दिनचर्या में धीरे-धीरे लाने के लिए योजना बनानी चाहिए। उन्हें अपने बच्चों के साथ कुछ समय बिताने की कोशिश करनी चाहिए और खाली समय में बच्चों के साथ थोड़ा-बहुत खेलना, हल्का-फुल्का नाच-गाना, किताबें पढ़ना आदि गतिविधियों में शामिल होना चाहिए। उनके दोस्तों के साथ मेल-मुलाकात का प्रबंध करना भी अलगाव के दर्द को भुलाने का एक बेहद प्रभावी उपाय है।
स्वस्थ खाएं – त्योहारी मौसम के दौरान, खासकर बच्चों के लिए समुचित पोषण तनाव को दूर करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। श्रेष्ठ आहार बच्चों के तनाव को दूर करने और सही एवं संतुलित मात्रा में कैलोरी सामान्य विकास को बनाए रखने में मददगार होता है। उन्हें त्योहार के दौरान जंक फूड्स, बेवरिजेज़ और मिठाइयों के अत्यधिक सेवन से मना करना चाहिए। बच्चों के चीनी के सेवन को कम करना चाहिए क्योंकि इससे उनका शुगर लेवल बढ़ सकता है और उन्हें ज्यादा सक्रिय बनाता है। उन्हें जितना संभव हो सेहतमंद एवं पोषक खाना देना चाहिए।
आराम एवं अच्छी नींद – सोना हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। मस्तिष्क को तरोताज़ा और सक्रिय बनाए रखने के लिए समुचित नींद बहुत जरूरी है। सोने से न केवल लोगों को आराम मिलता है, बल्कि यह मस्तिश्क को भी तरोताज़ा और पुनजीर्वित करता है, जो अगले दिन के काम के लिए व्यक्ति स्फूर्तिदायक बनाता है। बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए उनका सही समय पर सोना सुनिश्चित करें। रात में करीब 8 से 10 घंटे की अच्छी नींद उनकी गतिविधियों और स्वभाव के लिए अद्भुत काम करेंगे।
नियमित अंतराल – व्यस्त त्योहरी मौसम के बाद बच्चे पढ़ाई या अन्य महत्वपूर्ण कामों पर समय देने के मूड में नहीं होते हैं क्योंकि त्योहार की भावना उनपर हावी होती है। ऐसे मामले में पढ़ाई के दौरान थोड़ा सुस्ताने का मौका देना अच्छा उपाय है। पढ़ाई के साथ ही साथ खेलने और सुस्ताने और फिर पढ़ने का समय अलग-अलग बांटें। सीखने के लिए निर्धारित करें। इस तरह के अंतराल से बच्चों को तरोताज़ा और उन्हें ऊर्जावान बनाने में मदद मिलती है।
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इन सबके अलावा, हमेशा प्यार और स्नेह दिखाएं तथा नियमित दिनचर्या में अपने बच्चों को वापस समायोजित करने में मदद के लिए उनका जरूरी सहयोग करें।
आलेख – श्रीमती मीनल अरोड़ा, कार्यकारी निदेशक, शेम्राॅक प्रीस्कूल्स