लेखक-प्रमोद गोस्वामी, पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) प्रमुख चिराग पासवान ने जनता दल यूनाइटेड (JDU) प्रमुख नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानसभा चुनाव नही लड़ने का फैसला किया है। चिराग पासवान के इस फैसले से बिहार की राजनीति किस ओर करवट लेगी? लोजपा ने साफ कह दिया है कि एनडीए में रहेंगे मगर बिहार एनडीए का हिस्सा नही बनेंगे। आखिर यह इशारा किस ओर जा रहा है? कहते है न ‘मुंह’ का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पिता है, यही हाल भारतीय जनता पार्टी (BJP) का है। महाराष्ट्र में भाजपा जो गलती कर चुकी है उसे दोहराना नही चाहती। बिहार में बीजेपी और जदयू की गठबंधन की सरकार जरूर है, लेकिन समय समय पर दोनो पार्टियों के बीच कड़वाहट भी देखने को मिलती है।
बिहार विधानसभा 2015 में जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार महागठबंधन के हिस्सा थे, उन्होंने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें 71 सीट पर जीत हाशिल हुई थी। उस समय बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी, बाद में नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा बन गए और भाजपा के साथ मिलकर बिहार में दुबारा सरकार बनाई। जिस तरह से नीतीश कुमार पाला बदलने में माहिर है ठिक उसी प्रकार भाजपा राजनीति पाशा चलने में माहिर है। राजनीतिज्ञों की माने तो भाजपा को डर है कि जो महाराष्ट्र में हुआ वो कही बिहार में न हो, क्योंकि बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि बिहार में टिके रहने के लिए जदयू मात्र एक विकल्प है और जदयू भी इस बात को समझती है और यही वजह है कि भाजपा नीतिश के कुशासन को भी सुशासन की नजर से देखती है। प्रधानमंत्री बनने के सपने को संजोय नीतिश कुमार को भला भाजपा क्यों ढ़ोए?
महाराष्ट्र में शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से खार खाए भाजपा ने बिहार में किसी प्रकार की कोताही नही बरतते हुए नीतिश बाबू के खिलाफ चिराग पासवान के रूप में राजनीति मोहरा चल दिया है। लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने बिहार के 143 सीट पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह फैसला रविवार को दिल्ली में हुई पार्टी की संसदीय दल की बैठक में लिया गया। पासवान की पार्टी ने यह भी फैसला किया है कि उन सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी जहां जदयू के प्रत्याशी होंगे।
गौरतलब है कि बिहार चुनाव में एलजेपी, जदयू के खिलाफ फाइट करेंगी और नतीजे अच्छे हुए तो बिहार में अगामी सरकार भाजपा नेतृत्व वाली लोजपा के साथ बन सकती है जिसमें भाजपा के अपने मुख्यमंत्री होंगे। बता दें कि 2015 के चुनाव में भाजपा वाली एनडीए में चार राजनीतिक दल शामिल थे। अकेला भाजपा 157 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 53 सीटों पर जीत हासिल की थी, वही लोजपा 42 सीटों में से 2, जीतनराम माझी की पार्टी ‘हम’ 21 में एक सीट और कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी 23 में मात्र 2 सीटों पर जीत हाशिल किया था।
प्रमोद गोस्वामी, वरिष्ठ पत्रकार