दिल्ली भाजपा की मांग, दिल्ली सरकार के 52 हजार पड़े खाली मकान झुग्गीवासियों को आवंटित किया जाए

दिल्ली में 15 वर्षों तक कांग्रेस की सरकार और अब पिछले 6 वर्षों से आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली की झुग्गी-बस्ती में रहने वालों को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है और उन्हें धोखा दिया है। दिल्ली सरकार ने गरीबों का हित नहीं देखा बल्कि यह देखा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अगर गरीबों को घर मिलेगा तो उसका राजनैतिक लाभ भाजपा को होगा, इसलिए प्रधानमंत्री आवास योजना न लागू कर उसी तर्ज पर मुख्यमंत्री आवास योजना कि घोषणा की लेकिन धरातल पर कुछ नहीं किया-आदेश गुप्ता

यु.सि., नई दिल्ली। रेलवे ट्रैक के किनारे रह रहे 48 हजार झुग्गीवासियों को सुप्रीम कोर्ट ने 3 महीने में हटाने का आदेश दिया हैं। हाई कोर्ट के आदेश के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) दिल्ली प्रदेश ने मांग किया है कि दिल्ली सरकार के पास पड़े 52 हजार खाली मकान इन झुग्गी बस्तियों वालों को दिया जाए। इन्ही मांग को लेकर दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने पत्रकारों को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रदेश मीडिया प्रमुख अशोक गोयल देवराहा उपस्थित थे।

आदेश गुप्ता ने कहा कि पहले दिल्ली में 15 वर्षों तक राज करने वाली कांग्रेस की सरकार और अब पिछले 6 वर्षों से आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार ने दिल्ली की झुग्गी-बस्ती में रहने वालों को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है और उन्हें धोखा दिया है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस की सरकार ने 2008 में राजीव रत्न आवास योजना प्रारंभ की थी जिसके तहत 60 हजार मकान झुग्गी-बस्ती वालों को बनाकर दिया जाना था, लेकिन दिया नहीं गया। दिल्ली की बस्तियों में रहने वाले लोगों ने मकान के लिए रात-दिन जाग-जाग कर पुलिस की लाठियां-डंडे खाकर 2,77,518 आवेदन जमा करवाये थे और प्रत्येक आवेदन के लिये 100 रूपये की फीस भी दी थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस योजना के तहत झुग्गी वासियों को एक भी मकान आवंटित नहीं किया।

गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सुधार आश्रय बोर्ड जो दिल्ली सरकार के अधीन है, जिसके मुखिया दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं इनकी अगुवाई में चलने वाले दिल्ली सुधार आश्रय बोर्ड को रेलवे ने भी झुग्गियों के पुनर्वास के लिये 11.25 करोड़ रूपए दिए थे। लेकिन पिछले 6 वर्षों में दिल्ली की आप पार्टी की सरकार ने इस निमित कोई कदम नहीं उठाए, झुग्गीवसियों को सिर्फ धोखा दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के पास कई वर्षों से जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना के तहत जो 52,000 मकान बनाने की योजना बनाई गई थी, जो (नरेला, बवाना, घोघा, बपरोला, घेवरा, द्वारका आदि) बनकर तैयार खड़े हैं उन्हें आवंटित नहीं किया गया। इन मकानों के रख-रखाव के लिये करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें: राजेन्द्र हत्याकाण्ड में एक और गिरफ्तारी कुल आरोपियों की संख्या हुई दस

गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में झुग्गी-बस्ती में रहने वालों के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत “जहां झुग्गी वहां मकान“ बनाने की योजना बनाई और यह संकल्प लिया कि 2022 तक पूरे सभी को पक्का मकान मिलेगा। इसके तहत दिल्ली विकास प्राधिकरण ने अपनी भूमि पर 23 कलस्टर के सर्वे के लिये 5,83,425 रुपए जो 50 रूपये प्रति झुग्गी के तय किये जाने पर दिल्ली आश्रय सुधार बोर्ड को दिये गये थे परन्तु दिल्ली सरकार की नीयत और नीति दोनों स्पष्ट नहीं है। दिल्ली सरकार के दिल्ली आश्रय सुधार बोर्ड ने इस दिशा में 2 वर्षों तक सर्वे करना प्रारम्भ ही नहीं किया। दिल्ली सरकार ने गरीबों का हित नहीं देखा बल्कि यह देखा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अगर गरीबों को घर मिलेगा तो उसका राजनैतिक लाभ भाजपा को होगा, इसलिए प्रधानमंत्री आवास योजना न लागू कर, उसी तर्ज पर मुख्यमंत्री आवास योजना की घोषणा की, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं किया।

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *