-हितेश कुमार भारद्वाज
पृथ्वी पर मौजूद असंख्य प्रकार के जीवों में मानव जीवन सर्व श्रेठ जीवन माना गया है। सभी धर्म ग्रंथों के अनुसार मान्यता है की हमें अच्छे कर्मों से मानव जीवन की प्राप्ति होती है। परन्तु हम ने अपनी रोजमर्रा की जिंदगी की परेशानियों, बेवजह के बोझ और तनाव के कारण कुछ भंयकर बुराईयों के साथ जीवन जीना शुरू कर दिया है। जिसमें से एक खतरनाक बुराई है नशा। नशा एक ऐसी बुराई है जो हमारे समूल जीवन को नष्ट कर देती है। नशे की लत से पीड़ित व्यक्ति परिवार के साथ समाज पर बोझ बन जाता है। युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा नशे की लत से पीड़ित है। इसमें से ज्यादातर पीड़ित व्यक्ति अपने तनाव और निजी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए नशे का सहारा लेते है। परंतु आजकल युवाओं का बड़ा वर्ग मोजमस्ती और फैशन के नाम पर भी नशा करते हुए देखा जा सकता है। आज कल गांव, शहरो में जगह जगह होक्का पंचायत देखने में मिलती है। होक्के के चारो तरफ बैठे युवाओं को देश, समाज और भविष्य की करते हुए देखा जा सकता है। परन्तु हुक्का धीरे धीरे गुड़गुड़ाते हुए खुद के स्वास्थ्य को भूल जाता है। कई बार युवाओ को शौकिया और बैठक के नाम पर भी हुक्का, सिगरेट पीते हुए देखा है यही शौक थोड़े ही दिन में लत का रूप धारण कर लेती है। नशे के रूप में लोग शराब, गाँजा, जर्दा, ब्राउन शुगर, कोकीन, स्मैक आदि मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के साथ सामाजिक और आर्थिक दोनों लिहाज से ठीक नहीं है। नशे का आदी व्यक्ति समाज की दृष्टी से शून्य हो जाता है और उसकी सामाजिक क्रियाशीलता शून्य हो जाती है, फिर भी वह व्यसन को नहीं छोड़ता है। ध्रूमपान से फेफड़े में कैंसर होता हैं, वहीं कोकीन, चरस, अफीम लोगों में उत्तेजना बढ़ाने का काम करती हैं, जिससे समाज में अपराध और गैरकानूनी हरकतों को बढ़ावा मिलता है।
एक अनुमान भारत में केवल एक दिन में 11 करोड़ सिगरेट फूंके जाते हैं, अगर एक वर्ष का आंकलन किया जाये तो 50 अरब का धुआँ उड़ाया जाता है। वर्तमान में देश के कई राज्य नशे की गिरफ्त में हैं। इनमें पंजाब का नाम सबसे ऊपर है। पंजाब के हालात इस समय सबसे खराब बताये जा रही हैं जहां सीमा पार से लगातार नशीले पदार्थों की तस्करी के समाचार सुर्खियों में हैं। पंजाब की युवा पीढ़ी नशे की सर्वाधिक शिकार है। पंजाब के हालात पर यदि शीघ्र गौर नहीं किया गया और नशे पर अंकुश नहीं लगाया गया तो हरे−भरे पंजाब को नष्ट होने से कोई भी नहीं बचा पायेगा। हरियाणा के हालत भी दयनीय स्थिति में है। पंजाब सीमा के साथ लगते हरियाणा के कई जिले के युवा नशे के चुंगल में है।
मनोचिकित्सकों का कहना है कि युवाओं में नशे के बढ़ते चलन के पीछे बदलती जीवन शैली, परिवार का दबाव, परिवार के झगड़े, इन्टरनेट का अत्यधिक उपयोग, एकाकी जीवन, परिवार से दूर रहने, पारिवारिक कलह जैसे अनेक कारण हो सकते हैं। आजादी के बाद देश में शराब की खपत 60 से 80 गुना अधिक बढ़ी है। यह भी सच है कि शराब की बिक्री से सरकार को एक बड़े राजस्व की प्राप्ति होती है। मगर इस प्रकार की आय से हमारा सामाजिक ढांचा क्षत−विक्षत हो रहा है और परिवार के परिवार खत्म होते जा रहे हैं। हम विनाश की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। प्रति वर्ष लोगों को नशे से छुटकारा दिलवाने के लिए 30 जनवरी को नशा मुक्ति संकल्प और शपथ दिवस, 31 मई को अंतरराष्ट्रीय ध्रूमपान निषेध दिवस, 26 जून को अंतरराष्ट्रीय नशा निवारण दिवस और 2 से 8 अक्टूबर तक भारत में मद्य निषेध दिवस मनाया जाता है। मगर हकीकत में इन दिवसों का परिणाम जीरो और ये कागजी साबित हो रहे हैं।
किसी भी तरह के नशे से मुक्ति पाने के लिए संयम और सेल्फ मोटिवेशन ही सबसे उत्तम उपाय है इन दो उपायों के साथ ही कोई अन्य विकल्प कारगर हो सकता है। नशे से पीड़ित व्यक्ति को खुद पर नियंत्रण रखना होगा और बार बार नशे के खिलाफ खुद को मोटीवेट करना होगाद्य धैर्य के सहारे नशे के खिलाफ जीत हासिल की जा सकती हैद्य नशे से अत्यधिक पीड़ित व्यक्ति नशे से छुटकारा पाने के लिए मनोचिकित्सक, दवाओं का सहारा भी ले सकते है। आजकल केंद्र, राज्य सरकारों और सामाजिक संस्थाओं ने भी नशा मुक्ति केन्द्रो की स्थापना की है वहां जाकर भी नशे से मुक्ति पाई जा सकती है। नशे से पीड़ित व्यक्ति को नशे से मुक्ति पाने के लिए योग व मेडीटेशन का सहारा लेना चाहियेद्य खुद को व्यस्त रख कर भी कुछ हद तक नशे के खिलाफ सफलता हासिल की जा सकती है।
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देश में शराब बंदी के लिए कई बार आंदोलन हुआ, मगर सामाजिक, राजनीतिक चेतना के अभाव में इसे सफलता नहीं मिली। राजस्थान में एक पूर्व विधायक देश में शराब बंदी के लिए कई बार आंदोलन हुआ, मगर सामाजिक, राजनीतिक चेतना के अभाव में इसे सफलता नहीं मिली। देश में शराब बंदी के लिए कई बार आंदोलन हुआ, मगर सामाजिक, राजनीतिक चेतना के अभाव में इसे सफलता नहीं मिली।
शराब बंदी के लिए राजस्थान के पूर्व विधायक श्री गुरुशरण छाबडा ने लगातार 31 दिन तक आमरण अनशन किया और 3 नवम्बर 2015 को शाहदत को प्राप्त हुए परन्तु सरकार ने कोई संज्ञान नहीं लिया। अब राजस्थान में शराब मुक्ति आंदोलन की मुहीम गुरुशरण छाबड़ा जनक्रांति मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूजा छाबड़ा चला रही। इस तरह के आंदोलन कई अन्य राज्यों में भी चल रहे है परन्तु व्यापक जन समर्थन तथा नशे के खिलाफ सरकार की इच्छा शक्ति न होने के कारण अभी तक नशे के खिलाफ चले आंदोलन सफल नहीं हो सके।
सरकार को भी नशे के खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। सरकार को राजस्व प्राप्ति का मोह त्याग कर पूर्ण नशा बंदी लागु करनी चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर नशा पीकर घूमने वालों, गाड़ी चलाने वालों की बिना किसी कोर्ट कचहरी के जेल में डालने का प्रावधान होना चाहिए। नशे के खिलाफ बच्चो को जागरूक किया जाना भी बेहद जरुरी है तभी उन्हें नशे की गिरफ्त में जाने से रोका जा सकता है और सभ्य नागरिक बनाया जा सकता है। जब नशे पर पूर्ण प्रतिबंद होगा तभी समाज और देश मजबूत होगा और हम इस आसुरी प्रवृत्ति के सेवन से दूर होंगे। देश सामूहिक शक्ति प्राप्त कर लेगा। इससे लोग चरित्रवान और बलवान बनेंगे। तामसी वृत्ति समाप्त हो जाएगी और सात्विक वृत्ति बढने लगेगी। इससे कर्तव्य की भावना विकसित होगी।