नई दिल्ली। तंबाकू उद्योग वर्षों से युवाओं को आकर्षित करने के लिए तंबाकू उत्पादों को आकर्षक बनाने पर ध्यान केंद्रित करता रहा है। इसके लिए तंबाकू उद्योग नए नए फ्लेवर जोड़ता रहा है, शैक्षणिक संस्थानों के आसपास इन घातक उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करता रहा है और लूज सिगरेट बेचता रहा है। भारत ने तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी वाले चित्रों का आकार बढ़ाने और हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने जैसे ऐतिहासिक कदम उठाए हैं जिसका उद्देश्य युवाओं को तंबाकू उत्पादों की लत लगने से बचाना है।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की इस वर्ष की थीम है युवाओं को तंबाकू उद्योग की छेड़छाड़ से बचाना और उन्हें तंबाकू एवं निकोटिन के उपयोग से रोकना।
संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) और वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) की निदेशक आशिमा सरीन ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस वैश्विक अभियान से तंबाकू और इससे जुड़े उद्योग को उजागर करने में मदद मिलेगी जिससे युवा तंबाकू और इससे जुड़े उद्योग की मंशा जान सकेंगे और उन्हें बचाया जा सकेगा। इस तरह से उन्हें बिग टोबैको के खिलाफ लड़ाई में लगाकर एक बड़ा बदलाव लाया जा सकेगा।
टाटा मेमोरियल हास्पिटल के उप निदेशक और सर्जिकल ऑनकोलॉजिस्ट प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी ने कहा, “डब्लूएचओ के मुताबिक, तंबाकू की लत एक बीमारी है। हर तीसरा वयस्क भारतीय एक गंभीर बीमारी से जूझ रहा है। यह अकेला ऐसा वैध उत्पाद है जिसे यदि इसके विनिर्माता की सिफारिश के मुताबिक इस्तेमाल किया जाए तो आधे उपयोगकर्ता की मौत हो जाती है। जीवन के लिए संकल्प तंबाकू मुक्त युवा जैसे अभियानों में शुरुआत में ही इसे रोकने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है और जहां तंबाकू सेवन त्यागने वाले इस देश के लिए रोल मॉडल के तौर पर व्यापक प्रभाव डालते हैं। इसे जन स्वास्थ्य के कई अन्य कारणों के लिए दोहराया जा सकता है। जहां उद्योग युवाओं को आकर्षित करने पर ध्यान देता है, सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में इसकी रोकथाम पर काम होना चाहिए। हमारे युवाओं की रक्षा के लिए यही एकमात्र उपाय है।
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सरीन ने कहा कि भारत में 75,000 से अधिक एनएसएस कार्यकर्ता “जीवन के लिए संकल्प- तंबाकू मुक्त युवा” अभियान में शामिल हुए और लोगों को सार्वजनिक स्थलों पर थूकने के प्रति हतोत्साहित किया। इसमें कोविड-19 और तंबाकू चबाने दोनों के खिलाफ कार्य शामिल है। थूकने का मुख्य कारण तंबाकू चबाना है जिससे लोगों में थूकने की इच्छा होती है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के मुताबिक, भारत में 26.7 करोड़ (28.6 प्रतिशत) वयस्क (15 वर्ष से अधिक) तंबाकू उपयोगकर्ता हैं। हमारे देश में प्रतिदिन 5500 बच्चे तंबाकू का उपयोग करते हैं और इनमें से ज्यादातर आजीवन इसके आदी हो जाते हैं। यह अत्यंत चिंताजनक बात है। गैट्स के मुताबिक, 92.8 प्रतिशत लोग तंबाकू के नुकसान से वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि केवल 3 प्रतिशत ही तंबाकू की लत छोड़ने में समर्थ हैं। लोगों की तंबाकू की लत छुड़ाने के मुकाबले रोकथाम कहीं बेहतर रणनीति है।