कोरोना वायरस के आर्थिक प्रभावों से भारत उबर पाएगा?

-हरेश कुमार,
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान के अनुसार, भारत के गोदाम में अकेले चावल का स्टॉक 539 लाख टन है। अप्रैल तक भारत के गोदामों में 10 करोड़ टन अनाज होगा। एक अनुमान के अनुसार, इस साल 29.2 करोड़ टन अनाज उत्पादन का अनुमान है। भारत में अनाज का सालाना खपत 5-6 करोड़ टन है। हर साल 2.1 लाख करोड़ टन अनाज खाद्य गोदाम की कमी,मौसम और अन्य वजहों से बर्बाद हो जाते हैं। भारत अपने अन्न के स्टॉक की बदौलत पूरी दुनिया को छह महीने तक खिला सकता है। लॉकडाउन के कारण गली-मोहल्लों में चलने वाले दुकान बंद होने से इससे परिवार चलाने वाले परेशान जरूर हैं, लेकिन यह सब कुछ समय की बात है। लॉकडाउन खुलते ही तमाम परेशानियां दूर हो जाएंगी। सरकार और समाज मिलकर इनकी परेशानियों को दूर करेंगे।

चीनी वायरस के कारण पूरी दुनियाभर में चीन से विश्वास खत्म हो चुका है। अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया सहित कई देश की कंपनियां चीन से अपना प्रोडक्शन बंद करने की बात कर चुकी है। सस्ते श्रम की वजह से ये ,भी कंपनियां भारत आएंगी। आनेवाले समय में भारत इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग की दुनिया का हब बनने वाला है।कोरोना वायरस से लड़ने और इम्युनिटी बढ़ाने में आयुर्वेदिक दवाओं और प्राकृतिक उपचार के महत्व को दुनियाभर में स्थापित कर दिया है। मलेरिया के रोगियों के लिए उपयोग की जानेवाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ने कोरोनावायरस के मरीजों पर अच्छा काम किया है। भारत सरकार ने अमेरिका,ब्राजील सहित तमाम देशों को उनके अनुरोध पर इस दवा को मुहैया कराया है। इससे भारत के दवा निर्माता कंपनियों की भी प्रतिष्ठा बढ़ी है। इससे पहले 2008-2009 में आई आर्थिक मंदी के समय भी भारत के ग्रामीण इलाकों में मनरेगा व कृषि उत्पादों की वजह से हमारी अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंदी से निकलने में काफी मदद मिली थी। आज भी भारत की 70प्रतिशत से ज्यादा आबादी कृषि और इससे जुड़े उद्योगों पर निर्भर है। जरूरत है इस क्षेत्र को मदद देने और खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने की। अभी भी इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं।

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भारत के लोग बहुत ही ज्यादा आशावादी हैं और हर परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार होते हैं। हम बहुत ही जीवट वाले लोग हैं। चाहे कितनी भी निराशा हो भालतीय हंसकर उसका मुकाबला करने को तैयार होते हैं। यह उत्सवधर्मी देश है।सालोंभर उत्सव में डूबा रहता है। इससे हमारी सामाजिक व्यवस्था के साथ-साथ अर्थव्यवस्था भी जुड़ी हुई है। भारत पर सैकड़ों हमले हुए, आक्रमणकारियों ने देश की सभ्यता और संस्कृति को नष्ट करने के तमाम प्रयास किए। इन सबके बावजूद हम आज भी अपनी सभ्यता और संस्कृति को सुरक्षित और संवर्धित करने में सफल रहे हैं।

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