युवा सियासत, ब्यूरो
गुवाहाटी। नार्थ इस्ट असम की गुवाहाटी में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने शनिवार को खानापाड़ा में आयोजित भाजपा बूथ अध्यक्ष सम्मेलन को संबोधित किया और कार्यकर्ताओं से कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष की ओर से जारी झूठ और प्रपंच की राजनीति को करारा जवाब देने का आह्वान किया। इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रणजीत कुमार दास व भारी तदात में भाजपा कार्यकर्ता उपस्थिति थी। कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों को निशाने पर लेते हुए
श्री नड्डा ने कहा कि कांग्रेस एक परिवार की पार्टी बन कर रह गई है। आज देश में यदि कोई राजनीतिक दल है जो देश सेवा के विजन के साथ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, अंत्योदय और सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास की विचारधारा पर चलते हुए देश को आगे बढ़ाने के लिए कृतसंकल्पित है तो वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केवल और केवल भारतीय जनता पार्टी है। कांग्रेस पर हमला जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए वह झूठ और प्रपंच की राजनीति कर जनता को गुमराह करते हुए देश को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस और उसकी तमाम सहयोगी पार्टियां देश भर में यह भ्रम फैला रही हैं कि नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने से करोड़ों लोग भारत आ जायेंगे जिससे हमारे संसाधन पर इसका असर पड़ेगा। कांग्रेस को यह मालूम ही नहीं है कि नागरिकता संशोधन कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये उन हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता देता है जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ चुके हैं।
श्री नड्डा ने राहुल गाँधी को चुनौती दी उन्होंने कहा कि यदि उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को पढ़ा है तो वे नागरिकता संशोधन कानून पर 10 लाइनें और इसके विरोध में दो लाइन बोल कर दिखाएँ। जो शरणार्थियों को नागरिकता देने के कानून को गरीबों पर टैक्स बताता हो, उससे भला उम्मीद ही क्या की जा सकती है? कांग्रेस की नीयत में खोट है। कांग्रेस द्वारा झूठ और हिंसा की राजनीति राष्ट्रभक्ति नहीं, राजनीति से प्रेरित है।
उन्हें देश नहीं, बस वोट बैंक दिखाई देता है। कांग्रेस के लिए वोट बैंक देश हित से ऊपर है जबकि भारतीय जनता पार्टी के लिए राष्ट्र हमेशा सर्वोपरि रहा है। मैं कांग्रेस के नेताओं को चुनौती देता हूँ कि आप कभी शरणार्थियों के कैंप में गए हैं? उनकी स्थिति को देखा है क्या? महात्मा गाँधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल से लेकर डॉ मनमोहन सिंह तक, कई कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पाकिस्तान और बांग्लादेश से आये अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारत में बसाने की बात कही थी लेकिन कांग्रेस 2004 से 2014 तक इसकी कोई व्यवस्था नहीं कर पाई, इसलिए आज हमारे प्रधानमंत्री नागरिकता संशोधन कानून लेकर आये हैं।
उन्होंने कहा कि हमें इन शरणार्थी भाइयों की पीड़ा को समझना चाहिए कि किन विषम परिस्थितियों में उन्हें देश छोड़ कर भारत आना पड़ा। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की संख्या 1951 में लगभग 23 प्रतिशत थी जो आज घट कर 4 प्रतिशत से भी नीचे रह गई है। इसी तरह बांग्लादेश में भी अल्पसंख्यकों की संख्या घट कर 7 प्रतिशत के पास आ गई है। एक समय अफगानिस्तान में 50 हजार सिख रहते थे जबकि आज वहां केवल 2000 सिख बचे हैं। आखिर इसकी चिंता भारत नहीं तो और कौन करेगा?
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