अरुण जेटली के निधन से देश की राजनीति में रिक्तता आयी है जिसकी भरपाई होना संभव नहीं है-अमित शाह

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के निधन पर केंद्रीय गृह मंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दुःख जाहिर करते हुए कहा कि अरुण जेटली के निधन से मन अत्यंत दुखी और मर्माहत है। उनका जाना मेरे लिए एक व्यक्तिगत क्षति है। उनके रूप में मैंने न सिर्फ संगठन का एक वरिष्ठ नेता खोया है बल्कि परिवार का एक ऐसा अभिन्न सदस्य भी खोया है जिनका साथ और मार्गदर्शन मुझे वर्षो तक प्राप्त होता रहा। उन्होंने कहा श्री जेटली ने एक प्रखर वक्ता, प्रसिद्ध अधिवक्ता, एक आदर्श कार्यकर्ता, लोकप्रिय जन-प्रतिनिधि, कर्मठ मंत्री एवं कुशल प्रशासक के रूप में देश की राजनीति में एक अलग छाप छोड़ी है। शाह ने आगे कहा कि खुशमिजाज व्यक्तित्व वाले जेटली जी से मिलना और उनसे विचार विमर्श करना सभी के लिए एक सुखद अनुभव होता था। आज उनके जाने से भारतीय राजनीति और भारतीय जनता पार्टी में एक ऐसी रिक्तता आयी है जिसकी भरपाई होना जल्दी संभव नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा सरकार के 2014-19 के कार्यकाल के दौरान देश के वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने अपनी अमिट छाप छोड़ी और प्रधानमंत्री की गरीब कल्याण की परिकल्पनाओं को जमीन पर उतारा और हिन्दुस्तान को विश्व की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में प्रतिष्ठित किया। काले धन पर कार्यवाही की बात हो, एक देश-एक कर ‘जीएसटी’ के स्वप्न को साकार करने की बात हो, नोटों के विमुद्रीकरण की बात हो या आम आदमी को राहत पहुंचाने की बात, उनके हर निर्णय में देश और देश की आम जनता का कल्याण निहित था। देश उन्हें उनके अत्यंत सरल, संवेदनशील, सशक्त, ऊर्जावान एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व के लिए सदैव याद रखेगा।
बता दें कि अरुण जेटली का निधन शानिवार 12 बजकर 8 मिनट पर दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ, जेटली लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। जिस वक्त जेटली का निधन हुआ उस वक्त गृहमंत्री अमित शाह सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद में आईपीएस प्रोबेशनर्स ‘दीक्षा परेड’ में शामिल होने के लिए गये थे। जेटली के निधन की खबर मिलते ही श्री शाह कार्यक्रम को बीच में छोड़कर दिल्ली आ गए।

एक नज़र अरुण जेटली के कार्यकाल पर…
1975 में इंदिरा गांधी द्वारा देश पर थोपे गए आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेटली संघर्ष किया था, कांग्रेस सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया और जेल गए थे। वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के भी संयोजक रहे। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा-नीत एनडीए सरकार में कई मंत्रालयों को जिम्मेदारी से संभाला। 2009 से 2014 तक वे राज्य सभा में विपक्ष के नेता रहे। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बनने वाली सरकार में उन्होंने 2014-19 के दौरान वित्त मंत्रालय एवं रक्षा मंत्रालय के दायित्वों को संभाला और कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों को लागू करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। अपने अद्वितीय अनुभव और विरले क्षमता से जेटली ने संगठन और सरकार में विभिन्न दायित्वों का निर्वाह किया। वित्त मंत्री के रूप में श्री जेटली ने पीएम मोदी के नेतृत्व में देश के गाँव, गरीब, किसान, दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, युवा एवं महिलाओं के कल्याण के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की। पीएम मोदी मोदी की पहल पर उन्होंने कई ऐसे निर्णय लिए जो देश में एक ‘ईमानदार अर्थव्यवस्था’ को स्थापित करने में महत्वपूर्ण कारक सिद्ध हुए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘न्यू इंडिया’ के स्वप्न को साकार करने के लिए कई योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया। श्री जेटली पार्टी के कुशल रणनीतिकार भी थे। चुनावों के दौरान उन्होंने हर समय अपनी कुशल सांगठनिक क्षमता के परिचय देते हुए भारतीय जनता पार्टी के एक समर्पित कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया।

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