दिल्ली में सीलिंग, भाजपा अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है?

नई दिल्ली। दिल्ली में चल रही सीलिंग को लेकर आरोप प्रत्यारोप की सियासत चल रही है। दिल्ली की राजनीतिक पार्टिया एक दुसरे पर जिम्मेदारी थोप रही है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि ‘सीलिंग के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी व्यापारियों को गुमराह कर रही है और जनता के बीच भ्रम फैला रही है, सुप्रीम कोर्ट का बहाना बनाकर भाजपा के नेता अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।
दिल्ली कांग्रेस का कहना है कि भाजपा की केन्द्र सरकार और आप पार्टी की दिल्ली सरकार को बिना देरी किए सर्वोच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखते हुए लोगों को राहत दिलाने के लिए सीलिंग बंद करवानी चाहिए व बची हुई सड़कों को तुरंत नोटिफाई करना चाहिए, और केन्द्र सरकार जल्द अध्यादेश लाए ताकि सीलिंग के कारण लोगों की बर्बाद होती जीविका को बचाए जा सके।
दिल्ली भाजपा का कहना है कि केजरीवाल सरकार सड़कों के नोटिफिकेशन एवं अनधिकृत कालोनियों में नियमितिकरण प्रक्रिया शुरू करवाने में लापरवाही और फिर सर्वोच्च न्यायालय में गैर जिम्मेदाराना रूप से बिना किसी योजना को बताये दो साल का अतिरिक्त समय मांगने से कानूनी स्थिति बिगड़ी और सर्वोच्च न्यायालय ने माॅॅनिटरिंग कमेटी के माध्यम से दिल्ली मंे सीलिंग शुरू करवाई है। दिल्ली भाजपा ने आज कहा कि 27 जनवरी को तीनों नगर निगम एक आपातकालीन संयुक्त सत्र बुलाकर दिल्ली में सीलिंग 6 माह तक रोकने एवं इस दौरान सभी कानूनी प्रक्रिया पूर्ण कर जनता को नियमितिकरण एवं कन्वर्जन चार्ज देने के लिये एक वर्ष का समय देने का प्रस्ताव पारित करेंगे। सवाल यह है कि केजरीवाल सरकार महज तीन वर्ष से है, लेकिन सीलिंग की मुद्दा 2007 से चल रहा है, और एमसीडी में पिछले दस सालों से भाजपा की सरकार है, साल-छः महिने में सीलिंग का जिन, लोगों को परेशान कर रहा है, ऐसे में भाजपा द्वारा एक वर्ष का समय मांगना कितना जायज है? भाजपा अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है?
आप नेताओं की माने तो दिल्ली में कन्वर्जन चार्ज सिर्फ भाजपा शासित एमसीडी ही माफ कर सकती है और अगर वो ऐसा कर देते हैं तो व्यापारियों को राहत मिल सकती है। दूसरा कारण दिल्ली के मास्टर प्लान में तब्दीली और एफएआर को बढ़ाने का मुद्दा है जो केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली डीडीए के पास है। भाजपा चाहे तो एक दिन में ही सीलिंग से व्यापारियों को निजात मिल सकती है लेकिन ऐसा करने की उनकी नीयत नहीं है। मास्टर-प्लान 2021 बदलने का अधिकार सिर्फ केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय और डीडीए के पास है और अगर मास्टर प्लान में तब्दीली कर दी जाती है तो एफएआर को बढ़ाया जा सकता है और सीलिंग को रोका जा सकता है। अगर केन्द्र सरकार एक अध्यादेश लाती है तो इस समस्या का समाधान तुरंत हो सकता है। सीलिंग का दूसरा कारण कन्वर्जन चार्ज है जिसे भाजपा शासित एमसीडी अगर माफ कर देती है तो सीलिंग की समस्या से व्यापारियों को निजात मिल सकती है। भाजपा शासित एमसीडी ने आज तक तकरीबन तीन हजार करोड़ रुपए कन्वर्जन चार्ज और पार्किंग चार्ज के नाम पर दिल्ली के व्यापारियों से इकठ्ठा किए हैं लेकिन उसे बाजारों के विकास पर खर्च ना करके उसे दूसरी मद में खर्च कर दिया गया। जिन 351 सड़कों की भाजपा कर रही हैं दरअसल तीनो एमसीडी ने 23 जनवरी 2018 को ही 351सड़कों से संबंधित फाइलें दिल्ली सरकार के पास जमा की हैं जो प्रक्रिया में हैं और उन फाइलों को दिल्ली सरकार जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट को भेजेगी ताकि वे 351 सड़कें अधिसूचित हो सकें। दिल्ली में पिछले दिनों भाजपा शासित एमसीडी ने सील की हैं उनमें से एक दुकान भी इन 351 सड़कों पर नहीं हैं, मतलब कि उपरोक्त 351 सड़कों पर कोई दुकान सील नहीं की गई है।

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