पुलवामा बादला: पाकिस्तान और उसके पाले-पोसे आतंकियों से ज्यादा वामपंथी और कांग्रेसियों में खौफ

-हरेश कुमार
गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने बुधवार को मध्य गुजरात के पंचमहाल जिले के कालोल टोल नाके के पास से गोधरा कांड के प्रमुख आरोपी फारुक भाना को पकड़ा। फारुक पर आरोप है कि 2002 में 27 फरवरी को अयोध्या से आ रही साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगाने की साजिश में वो शामिल था। पुलिस का कहना है कि हादसे से एक रात पहले गोधरा स्टेशन के पास ही अमन गेस्ट हाउस में करीब 20 लोगों ने मिलकर इस कोच में आग लगाने की साजिश रची थी जिसमें फारुक भी शामिल था। उसी ने लोगों को स्टेशन पर ट्रेन में आग लगाने के लिए उकसाया और जलाने के लिए डीजल वगैरह लाने का भी इंतजाम किया। महत्वपूर्ण है कि साबरमती ट्रेन कांड में करीब 59 लोग मारे गये थे और इसके बाद पूरे गुजरात में भारी दंगे भड़के थे जिसमें सैकड़ों लोगों की जानें गई थीं।
पुलिस का कहना है कि हादसे के वक्त फारुक गोधरा शहर का निगम पार्षद था। हादसे के बाद से ही फारुक मुंबई भाग गया था और वहां किसी झुग्गी में रह रहा था और मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के छोटे-मोटे कॉन्ट्रैक्ट लेकर अपना गुजारा चला रहा था।
2. लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में साजिश के तहत मौत के बाद बगैर पोस्टमॉर्टम के दाह संस्कार किया गया था, जबकि एक साधारण व्यक्ति की मौत हो जाए तो पुलिसकर्मी बगैर पोस्टमॉर्टम के छूने तक नहीं देते. शास्त्री जी के निजी चिकित्सक को करनाल बाइपास में ट्रक से कुचल दिया गया, ताकि वो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर साजिश का पर्दाफाश न कर दें।
भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री शास्त्री जी को मीटिंग स्थल से 20 किलोमीटर दूर साधारण से गेस्ट हाउस में रखा गया था, वहां एम्बुलेस तो छोड़िए, कमरे में एक टेलीफोन तक न था जिससे कि किसी चिकित्सक को बुलाया जाए या मदद मांगी जाए। सोवियत संघ में भारत के राजदूत टीएन कौल और नेहरू परिवार के संबंधों के बारे में भी थोड़ा जान लेते।
कांग्रेसियों के खून में ही दलाली समाई हुई है। नेहरू से पूछो कि उसने कैसे सुभाषचंद्र बोस को जीते जी मार दिया था हवाई दुर्घटना में, जबकि ताइवान सरकार उस दिन किसी भी दुर्घटना से इनकार करती है। सोशल मीडिया के युग में अब जाकर कांग्रेसियों और वामपंथियों के यह झूठ देश की जनता के सामने आ सका है।
नेहरू के कारनामों को जानने के बाद थूकने का भी मन नहीं करेगा। यह इतना गलीच आदमी था जिसने राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के पटना स्थित आवास से डायलिलिस मशीन हटवा दी थी, महज इस कारण से क्योंकि राजेंद्र प्रसाद ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार नेहरू के मना करने के बावजूद कराया था। नेहरू ने राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति न बनने देने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल को झूठी चिट्ठी लिखी थी। थोड़ा पढ़ लिया करो। बाद में उजागर होने के बाद पटले से माफी मांगी थी।
राजेंद्र प्रसाद के अंतिम संस्कार में शामिल होने यह नहीं गया और जानबूझकर बिना किसी तय कार्यक्रम के जयपुर पहुंचकर वहां के राज्यपाल को भी अंतिम संस्कार में जाने से मना कर दिया। इंदिरा गांधी ने क्यों 1971 में समय से पहले राज्य विधानसभा और लोकसभा को भंग कर चुनाव कराया था, थोड़ा जान लेते? इंदिरा और राजीव के अस्थि कलश को क्यों देशभर में घुमाया? है किसी के पास कोई उत्तर
इंदिरा का पति फिरोज खान कन्वर्टेड पारसी मुस्लिम था फिर उसका लड़का ब्राह्मण कैसे हो गया? इंदिरा और फिरोज का संबध 1942 में ही खत्म हो गया फिर संजय गांधी के पिता कौन थे?- थोड़ी पढ़ लिया करो। कांग्रेसियों और वामपंथियों की मानसिकता इतनी नीच और गलीच हो चुकी है कि वो अपनी मां से भी सबूत मांगेगे कि मेरा पिता यही था या कोई और है? हद होती है घटिया राजनीति की, जहां सिर्फ ओछापन हो?
निर्दोष कारसेवकों को जलाना सही था, इंदिरा के मरन पर हजारों सिख की हत्या सही थी? राजीव गांधी ने खुद कहा था – कोई बड़ा पेड़ जब गिरता है तो धरती हिलती ही है।
सुनो तुम्हें थोड़ा और जानकारी दे देता हूं।
भोपाल गैस हादसे के आरोपी माइक एंडरसन को इसी राजीव गांधी ने सुरक्षित अमेरिका पहुंचवाया था। बोफोर्स कांड में स्वीडन के प्रधानमंत्री को जांच न करने के लिए चिट्ठी लिखकर विदेश मंत्री सोलंकी को भेजा था? कुछ याद आ रहा या सबकुछ पिछवाड़े में ठूंस लिए? बोफोर्स की दलाली करने वाले क्वात्रोच्चि को अंत तक किसने बचाया? उसके सीज खातों को किसने डीफ्रीज कराया। सीबीआई पर दबाव डालकर किसने उसे मलेशिया में पकड़ने से रोक दिया। बातें तो इतनी है कि एक ग्रंथ कम पड़ जाए। फिलहाल के लिए इतना ही।
और सुनो
ये तुम सब कांग्रेसी, आपिए और वामी ही थे जिसने पठानकोट, उरी और पुलवामा में आतंकी हमलों के लिए मोदी के 56 इंच सीना पर करारा व्यंग्य किया था। हाऊ इज द जोश की जगह जैश लिखने वाले तुम लोग ही थे और जब भारत सरकार ने पाकिस्तान के घर में घुसकर मारा तो तुम्हारे पेट में मरोड़ होने लगा है। सबूत मांग रहे हो। पाकिस्तान के नेताओं को जवाब नहीं सूझ रहा और भारत के गद्दार सबूत की मांग कर रहे।
आतंकी हमला तो पहले भी होता था,कभी किसी ने इस तरह से जवाबी कार्रवाई की हो। कश्मीर से कश्मीरी पंडितों को भगाए जाने, उनकी संपत्तियों को जलाए जाने, बहू-बेटियों के साथ सामूहिक रेप किए जाने पर कभी कुछ कहा हो किसी कांग्रेसी ने। पाकिस्तान के निर्माण के समय वहां 40 प्रतिशत हिंदू थे और आज 1 से डेढ़ प्रतिशत। कहां गए सारे। जमीन निगल गई या आसमान खा गया। किसी कांग्रेसी या वामपंथी ने भूलकर भी कभी इस मुद्दे को उठाया हो। जिसकी रगों में ही दलाली बसती हो, उससे किसी को अपेक्षा नहीं है। मुस्लिम तुष्टिकरण और छद्म धर्मनिरपेक्षता की नीति के कारण कांग्रेस की यह हालत हुई है।
2004 में एके एंटोनी ने अपनी रिपोर्ट में कांग्रेस की हार के लिए मुस्लिम तुष्टिकरण और छद्म धर्मनिरपेक्षता को मुख्य कारण बताया था, उस पर कुछ हुआ। 10 सालों तक मनमोहन रिमोट कंट्रोल से चलते रहे और एक चपरासी की भी नियुक्ति अपने मन से नहीं कर सके। बात करते हैं। भारत में भ्रष्टाचार और परिवारवाद को संस्थागत रूप इसी परिवार ने दिया है। भारत के पहले जीप घोटाला के आरोपी को रक्षा मंत्री बनाकर इसी नेहरू ने भ्रष्टाचार को मान्यता दी थी। तब सजा मिल गई होती तो किसी के बाप की हिम्मत नहीं थी कि भ्रष्टाचार करता। लालू प्रसाद से लेकर सैकड़ों भ्रष्टाचारियों को इस परिवार ने अपनी राजनीति के लिए बचाया। मेरे पास लिखने को बहुत कुछ है,लेकिन तुम सुन नहीं पाओगे।

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