विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई ‘‘जेनेवा संधि’’? ऐसे बुद्धिजीवी और अंधविरोधी नेता इस देश में हैं

पाकिस्तान की सरकार और आतंकियों को पनाह और प्रशिक्षण देने वालों ने मान लिया था कि हम भारत पर कितना भी आतंकी हमला करेंगे, वह कोई बड़ी कार्रवाई नहीं करेगा। हम सबूत मांगेंगे, भारत सबूत देगा ओर हम उसको मनगढंत बताएंगे। मुंबई आतंकी हमला, संसद पर अटैक, देशभर में आतंकी हमला, मोदी की पटना में रैली में बम विस्फोट,पठानकोट उरी और पुलवामा आदि न जाने कितने अटैक इन आतंकियों ने किया,लेकिन भारत सरकार ने कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की।
संयुक्त राष्ट्र संघ में आतंकियों को उनके आकाओं ने हर बार बचा लिया, लेकिन इस बार आतंकियों और उनके पालनहार का हर दांव उलटा पड़ गया, क्योंकि भारत ने शांतिकाल में पहली बार पाकिस्तान के अंदर घुसकर न सिर्फ बड़ी सैन्य कार्रवाई की है,बल्कि दुनियाभर को एक संदेश दिया है कि भारत अब बंदरघुड़कियों से डरनेवाला नहीं है।

पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों ने इस कार्रवाई की खुद ही पुष्टि की, लेकिन इनके अंध समर्थक तथाकथित प्रगतिशील बुद्धिजीवी अपने प्रो-पाकिस्तान एजेंडा के तहत फिर से अपने काम में लग चुके हैं। वो कहने लगे हैं कि भारतीय सेना ने जंगल में कार्रवाई की है और कोई मरा नहीं है। यह उस पाकिस्तान की भाषा है, जो अंदर तक भारतीय सेना की आक्रामक कार्रवाई से हिल गया है। उसे समझ नहीं आ रहा कि वह क्या जवाब दे। अगले दिन पाकिस्तान की सेना ने कश्मीर में भारत के नागरिक क्षेत्र पर अपने बमवर्षक विमानों से बम गिराए, जिसमें एक छोटी बच्ची घायल हो गई। पाकिस्तान ने अमेरिका से लिए बमवर्षक विमान एफ16 से भारतीय सीमाओं का उल्लंघन किया, जब भारतीय सेना ने ललकारा तो भाग खड़े हुए। इस सबके बीच विंग कमांडर अभिनंदन ने मिग21 से पाकिस्तान के एक एफ16 लड़ाकू विमान को मार गिराया, लेकिन तकनीकी खराबी के चलते उनका विमान क्रैश हो गया और वो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सुरक्षित लैंड कर गए। वहाँ उन्होंने जब स्थानीय नागरिकों से पूछा कि यह कौन-सी जगह है तो उन सबने पाकिस्तान बताया। विंग कमांडर अभिनंदन ने भारत माता की जय का उद्घोष किया और भीड़ पर आत्मरक्षा के लिए आसमान में फायर भी किया,लेकिन जब क्रुद्ध भीड़ ने इनको खदेड़ा तो वो आधा किलोमीटर दौड़कर पास के एक तालाब में कूद गए और अपने साथ रखे डॉक्युमेंट्स और अन्य कागजातों को नष्ट कर दिया (चबा डाला),ताकि गलत हाथों में न पड़े। इस बीच पाकिस्तानी नागरिकों ने उन्हें पकड़ कर अमानवीय यातनाएं दीं। फिर, वहाँ की सेना के अधिकारियों ने अभिनंदन को अपने कब्जे में ले लिया।

पाकिस्तानी नागरिकों और अधिकारियों की बदहवासी का आलम यह था कि अपने ही एफ16 के पायलट को भारतीय पायलट मानकर अधमरा कर दिया। भारत सरकार ने मिग21 के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान की सेना के कब्जे में होने की खबर पाते ही दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के डिप्टी कमिश्नर सैयद हैदर को बुलाकर विंग कमांडर अभिनंदन की सुरक्षित रिहाई के लिए कड़ा संदेश दिया। पाकिस्तान अमेरिका से मिले एफ16 को खोकर पहले से ही अमेरिका के गुस्से का शिकार था, क्योंकि पाकिस्तान ने इसका उपयोग आक्रमण करने के लिए किया, जबकि यह बचाव में उपयोग के लिए मिला था। इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी को छोड़कर इस बार धुर समर्थक चीन भी पाकिस्तान का खुलकर समर्थन न कर सका।

यहाँ तक कि ओआईसी ने भी भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को चीफ गेस्ट के तौर पर आमंत्रित कर लिया और सुषमा स्वराज ने बगैर पाकिस्तान का नाम लिए आतंकियों और कट्टरपंथियों को समर्थन देने वाले देश की खुलकर मजम्मत की। इससे नाराज पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ओआईसी की बैठक का बहिष्कार कर दिया। पाकिस्तान चारों तरफ से घिर चुका है। चीन भी खुलकर बचाव नहीं कर पा रहा। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान की सरकार और उसकी सेना कुछ कर नहीं पा रही। पाकिस्तान का दुर्भाग्य की उसकी वित्तीय स्थिति भी चरमराई हुई है। पाकिस्तान का कराची नेशनल स्टॉक एक्सचेंज गोता खा रहा है। कहीं से भी अच्छी खबर नहीं आ रही।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए यह स्वीकार किया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनका कॉल नहीं उठा रहे। इधर भारत सरकार ने स्पष्ट तौर पर चेतावनी दी है कि एक तरफ आतंकियों को हर तरह का समर्थन और दूसरी तरफ बातचीत की नौटंकी अब नहीं चलने वाली। विंग कमांडर अभिनंदन की रिहाई के लिए जेनेवा संधि को मुख्य कारण बताने वाले अंधविरोधी जानबूझकर यह भूल जाते हैं कि पाकिस्तान की सरकार वहाँ की सेना की कठपुतली है और वह किसी अंतरराष्ट्रीय समझौते का सम्मान कभी नहीं करती, इतिहास गवाह है।

करगिल युद्ध के दौरान पैट्रोलिंग कर रहे अपने दल से भटक गए भारतीय सेना के जवान सौरभ कालिया के साथ अमानवीय यातनाएं, शरीर अंगभंग करने से लेकर, हेमराज का सिर काटना आदि कितनी घटनाएं हैं जो पाकिस्तान का चेहरा उजागर करती है। यह वही पाकिस्तान है जो करगिल में मारे गए अपने सैनिकों के शव को स्वीकार नहीं कर सका।यह भारत सरकार ही थी जिसने पाकिस्तानी सैनिकों को ससम्मान दफनाया,लेकिन पाकिस्तान सूअर की तरह है, जिसे गंदगी ही पसंद है। भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में कहीं भी कोई आतंकी घटना हो पाकिस्तान और पाकिस्तानी नागरिकों का हाथ जरूर रहता है। अंधविरोध की सभी सीमाओं को पार कर चुके ये तथाकथित प्रगतिशील बुद्धिजीवी पुलवामा आतंकी हमले के समय मोदी की 56इंच सीना पर कटाक्ष कर रहे थे और जब भारतीय सेना ने कार्रवाई की तो इन सबकी स्थिति शोचनीय हो गई। अब इन तत्वों को न उगलते बन रहा और न ही निगलते बन रहा। ये मोदी की कूटनीतिक विजय को पचा नहीं पा रहे, नतीजा इमरान खान के कसीदे पढ़ रहे हैं।

1971की विजय के लिए इंदिरा गांधी को श्रेय देनेवाले ये कांग्रेसी और वामपंथी प्रगतिशील बुद्धिजीवी पाकिस्तान में सेना की कार्रवाई के लिए सेना को बधाई रहे। ऐसे लोग मोदी को इसका श्रेय देने के नाम से ही कांपने लग जाते हैं। तब कांग्रेस और वामपंथियों का जमाना था और अब समय बदल चुका है। तब सोशल मीडिया न थी, इन सबने सिर्फ और सिर्फ झूठी और मनगढ़ंत खबरें देशवासियों को दी।आज जब पलटवार हो रहा तो इनकी बिलबिलाहट देखते बनती है। समय बदल चुका है और गद्दारों को देशवासी पहचानने लगे हैं। मुस्लिम तुष्टिकरण और छद्मधर्मनिरपेक्षता के दिन लद गए। अब तो हालात ये हैं कि गर बातों से न मानें तो इनको लोग लातों से भी कूटेंगे। वैसे भी ये सारे नमकहराम हैं, जो हरामखोरी के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। अंधविरोधियों से कोई पूछे जेनेवा संधि पहले भी थी,लेकिन तब क्यों पाकिस्तान ने हमारे सैनिकों कै साथ अमानवीय यातनाएं दी, अंगभंग किया,पकड़ने के बाद एकदम नजदीक से गोली मारी। किसी का सिर काटा तो किसी को सिगरेट से दागा तो किसी की आंख निकाल ली। प्रो-पाकिस्तानी बुद्धिजीवी और हरामखोरों से कोई उम्मीद नहीं देशवासियों कै ये आदतन पाकिस्तान और चीन का ही गुणगान करेंगे।

यह वही तबका है जो चीन द्वारा थोपे गए 1962की लड़ाई के लिए भारत को दोष देता है। इन सबने चीन के सैनिकों के लिए ब्लड और पैसे एकत्र किए थे और आज ये विंग कमांडर अभिनंदन की सकुशल वापसी पर इमरान खान के कसीदे पढ़ रहे हैं। भाई ये सारे बुद्धिजीवियों की शक्ल में वो कुत्ते हैं, जिनकी दुम कभी सीधी नहीं होती चाहे 12साल तक लोहे की रॉड से बांध दो। लोहे का रॉड टेढ़ा हो जाएगा,लेकिन दुम कभी सीधा नहीं होने वाला।
-हरेश कुमार

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