केजरीवाल सर, आपके पैरों के नीचे की राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है, केवल अपनी चिंता करो

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भारतीय जनता पार्टी के नेता और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिंता में गले जा रहे, लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि खुद उनके पैर के नीचे से जमीन पूरी तरह से खिसक चुकी है। वो इस बार के दिल्ली विधानसभा के चुनाव में अपनी ही सीट बचा लें तो यह बड़ी बात होगी।

पिछली बार लोगों ने अन्ना के धोखे और कांग्रेस की शीला दीक्षित एंड मंत्रिमंडल के भ्रष्टाचार और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा एक-दूसरे की धोती खींचने के कारण अभूतपूर्व बहुमत से जीत दर्ज की थी,लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं होने जा रहा। एक-एक करके उन सभी सहयोगियों ने केजरीवाल को छोड़ दिया या इन्होंने अपने अहंकार के वशीभूत अपने सहयोगियों से पीछा छुड़ा लिया अब जो लोग साथ में हैं उनमें किसी की भी विश्वसनीयता दो कौड़ी की भी नहीं है।

अब शीला दीक्षित के खिलाफ कॉमनवेल्थ गेम में भ्रष्टाचार के 370पेज के वो सबूत भी काम में नहीं आने वाले,क्योंकि उसकी हवा खुद केजरीवाल ने शीला दीक्षित के सहयोग से पहली बार दिल्ली का मुख्यमंत्री बनकर निकाल दिया।
केजरीवाल की प्रचंड जीत में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं से ज्यादा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का हाथ रहा, जिन्होंने मैं नहीं तो तू भी नहीं और इस तरह से एक-दूसरे के खिलाफ हर विधानसभा में जमकर काम किया।

आज केंद्र में नरेंद्र मोदी बैठे हैं और दिल्ली प्रदेश भाजपा की गुटबाजी से वो पूरी तरह से वाकिफ हैं, तभी तो दूसरी पार्टी से आए जनाधारविहीन नेता मनोज तिवारी को प्रदेश भाजपा की कमान सौंपी। पूर्वांचल के मतदाताओं के नाम पर तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष जैसा सम्मानित पद मिला, लेकिन उन्होंने पद की गरिमा को कई बार तार-तार कर दिया। स्कूल के कार्यक्रम में स्कूल शिक्षिका द्वारा गाना गाने के अनुरोध पर उसे बेईज्जत कर रुलाना और शाहरुख के कार्यक्रम में नाच-गाना करना किसी को भी न सुहाया।

माना कि स्कूल शिक्षिका को उस मंच पर गाने का अनुरोध नहीं करना चाहिए था,लेकिन उसे शालीनता से टाला भी तो जा सकता था या एक स्कूल शिक्षिका ने गाना गाने के लिए कैसे कह दिया यह ईगो तो नहीं हो गया श्रीमान अध्यक्ष महोदय और सांसद जी को।
शिक्षक-शिक्षिका इस देश के बच्चों के भविष्य के निर्माता हैं और हम सभी 5सितंबर को हर साल शिक्षक दिवस मनाते हैं। इसके बावजूद यह सब होना अत्यंत निंदनीय और शर्मनाक है।

खैर, हम बात केजरीवाल के उस वक्तव्य पर कर रहे थे जिसमें उन्होंने देशवासियों से 12वीं पास व्यक्ति यानी मोदी को दोबारा मौका न देने की बात कही है। तो मेरा कहना है केजरीवाल महोदय अपनी चिंता करें यह ज्यादा बेहतर होगा आपके लिए। आप अपनी सीट बचा लें इस बार यही काफी होगा।

अच्छा एक बात तो पूछना बाकी ही रह गया। शीला दीक्षित जब आपके सामने होंगी तब कौन-सा आरोप लगाएंगे आप,क्योंकि सबूत तो यमुना नदी में आपने प्रवाहित कर दिया है,बस कुछ पुराने पैम्फलेट्स पड़े होंगे आपके पास?
देश और विदेश के लोग आपकी राजनीति से वाकिफ हो चुके हैं। आपके पास कोई विजन नहीं है। कांग्रेस की तरह मुस्लिम तुष्टिकरण और छद्मधर्मनिरपेक्षता की राजनीति ज्यादा आगे नहीं लेकर जाने वाली।

आपका खेल खत्म हो चुका है जनाब, दिल्ली की जनता कै आपने बड़े-बड़े सुनहरे ख्वाब दिखाए थे,लेकिन आपकी राजनीति का स्तर इस कदर नीचे गिरेगा यह लोगों को अंदाज नहीं था। दिल्ली की स्थिति सुधरने की जगह और बिगड़ ही गई है।
किसानों के नाम पर दिल्ली में आपने एक रैली बुलाई थी, उस रैली में राजस्थान का एक किसान गजेंद्र सिंह चैहान देखते ही देखते आप सबकी घटिया और कुत्सित राजनीति का शिकार हो गया और उसने आत्महत्या कर लिया।

सबकुछ मंच से साफ-साफ दिख रहा था,लेकिन आपने भाषण जारी रखा, आपको लग रहा था कि सामनेवाला भी आपकी तरह ही नौटंकी कर रहा। इस अवसर पर आपकी पार्टी का एक नेता पूर्व पत्रकार को घड़ियाली आंसू बहाते हुए सभी ने देखा। इसके बावजूद आप जैसे नेताओं को शर्म नहीं आती। दूसरों के चरित्र पर कीचड़ उछालने सज पहले खुद अपनी स्थिति भी देख लेते तो बेहतर होता।
-हरेश कुमार

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