यूपीए ने अपने दस साल के शासनकाल में पड़ोसी देश नेपाल से मुंह मोड़ लिया था। नतीजा वहां तेजी से कम्युनिस्ट चीन का प्रभाव बढ़ता गया। चीन ने इसका फायदा उठाते हुए काठमांडू तक सड़कों का जाल बिछा दिया। वह नेपाल में तेजी से निवेश करने लगा है। 1990 के दशक से पहले पाकिस्तान का नेपाल में न के बराबर हस्तक्षेप था, क्योंकि वहां के राजा इसे नापसंद करते थे। उनकी हत्या के बाद नेपाल में तेजी से पाकिस्तान ने अपना जाल बिछाया। नेपाल में रातोंरात गली-गली मस्जिदें खड़ी हो गई, जबकि पहले खोजना मुश्किल था। नरेंद्र मोदी ने नेपाल के साथ मधुर संबंधों को प्राथमिकता दी है और यही कारण है कि चार सालों में वे तीन बार नेपाल की यात्रा कर चुके हैं।
कम्युनिस्टों के प्रभाव का ही असर है कि नेपाल में चीन लगातार प्रभाव बढ़ाता जा रहा है। इन्हीं सब कारणों से नेपाल में भारतीय मूल के लोगों को पहली बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
इससे पहले 1989 में नेपाल ने चीन से संपर्क बढ़ाने की कोशिश की थी जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने नाकाम कर दिया था। नेपाल को सप्लाई होने वाले दैनिक जरूरत की सभी चीजों- नमक, केरोसिन तेल से लेकर पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई पर भारत ने रोक लगा दी थी। इस वजह से नेपाल झुकने को मजबूर हो गया।
नेपाल में भारतीय मूल के लाखों लोग रहते हैं जिनका रोटी-बेटी का संबंध हैं।नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद भारत ने पड़ोसी देश नेपाल की जरूरतों को समझा है और एक बार फिर से उसे अपने साथ लेने की कोशिशों में जी-जान से जुट चुका है। पिछले कुछ सालों के डेवलपमेंट को छोड़ दें तो नेपाल में प्रत्येक डेवलपमेंट भारत सरकार के आर्थिक सहयोग से है।
नेपाल जाने-आने के लिए किसी तरह के वीजा की जरूरत नहीं पड़ती है। भारतीय सेना में नेपाल के लाखों गोरखा मूल के लोग काम करते हैं. नेपाल की अर्थव्यवस्था के विकास में इन लोगों का महत्वपर्ण योगदान है।
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सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले कई लोग तो नेपाल से तरह-तरह के विदेशी सामानों की तस्करी करके रातोंरात करोड़पति बन चुके हैं और ऐसे लोगों का नेतागीरी के धंधे में सीधा हस्तक्षेप है। इनमें से ज्यादातर तस्कर या उसके कैरियर रह चुके हैं। नेपाल से विदेशी हथियार, सोना-चांदी से लेकर विदेशी शराब सस्ते दामों में लाकर इसे भारत में मनमाने दामों पर बेचते हैं।
सीमावर्ती इलाकों में सभी सामान आपको मिल जाएंगे, बशर्ते की आप कीमत देने को तैयार हों। हाल के वर्षों में बिहार में शराबबंदी के बाद से सीमा के आसपास रहने वाले कई लोगों ने नेपाल से शराब लाकर बेचने का कारोबार अपना लिया है।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने सीमा सुरक्षा बल की तैनाती की थी, लेकिन उसे भी अब तस्करों से पैसे खाने की आदत लग चुकी है। हकीकत यही है। सभी को मालूम है कि इन रास्तों में तस्करी होती है,लेकिन कभी-कभार अपवादों को छोड़कर कभी बड़ी खेप पकड़ी नहीं जाती।
इन रास्तों का प्रयोग आतंकवादी से लेकर आम नागरिक तक करते हैं।
आम दिनों में शांत रहने वाला सीमावर्ती इलाका रात के समय गुलजार हो जाता है, क्योंकि तस्करों की गाड़ियां देर रात अपने कार्य में लगी होती हैं।
-हरेश कुमार