हरियाणा और जम्मू कश्मीर में किसका पलड़ा भारी, कौन मारेगा बाजी?

हरियाणा और जम्मू कश्मीर का क्या है राजनीतिक समीकरण?

हरियाणा और जम्मू कश्मीर का क्या है राजनीतिक समीकरण?
आज हम आपको बतायेगें कि 10 साल बाद जम्मू कश्मीर में चुनाव घोषित होने पर क्या बदलेगा चुनावी समीकरण?
क्या धारा 370 हटाने का फायदा बीजेपी को मिलेगा या फिर पिछली बार की तरह फिर से सत्ता की कमान डबल इंजन की सरकार पर आ जाएगी।…

by-अमित कुमार

जब से चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है तभी से राजनीति के गलियारों में सियासत तेज हो गई है। 16 अगस्त को निर्वाचन आयोग द्वारा दो राज्यों की विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान करने के बाद सभी राजनीतिक दल अपनी कमर चुकी हैं। लेकिन इस बार देखने लायक होगा कि जम्मू कश्मीर और हरियाणा में किस राजनीतिक दल का दबदबा बना रहेगा।

हरियाणा विधानसभा चुनाव में किसकी सत्ता?

हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर 2024 को खत्म होने वाला है और ठीक उससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है जो 1 अक्टूबर 2024 को 90 सीटों के लिए मतदान किया जाएगा।

हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए अंतिम चुनाव 21 अक्टूबर 2019 को हुए थे जिसके नतीजे 24 अक्टूबर 2019 को घोषित किये गए थे। जिसमें भारतीय जनता पार्टी की एनडीए गठबंधन ने एक तरफा बहुमत हासिल करते हुए अपनी सरकार बनाई।

इन चुनाव में बीजेपी को 40 सीटें मिली जो बहुमत यानी 46 सीटों से कम थी। जबकि कांग्रेस को 31 सीटें। इसके अलावा क्षेत्रिय पार्टी जननायक जनता पार्टी को 10 और अन्य के खाते में 8 सीट गईं। इसके साथ ही इंडियन नेशनल लोकदल को 1 सीट मिली।

भाजपा ने जेजेपी के साथ गठबंधन करते हुए मनोहर लाल खट्टर को 2019 में दूसरी बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बनाया। जननायक जनता पार्टी (श्रश्रच्) के प्रमुख दुष्यंत चौटाला राज्य के उपमुख्यमंत्री बने।

हरियाणा विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो पिछले 2 बार के चुनाव लगातार भाजपा ने अपने नाम की है इसी के साथ इस बार भी भाजपा चाहेगी सत्ता की गद्दी उनके हाथ से न छिने। हालांकि 12 मार्च 2024 में एनडीए की तरफ से नायब सिंह सैनी को हरियाणा का सीएम बना दिया गया है।

साल 2014 में हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस का राज हरियाणा से खत्म करते हुए अपनी सत्ता बरकरार रखी। और भारी बहुमत के साथ हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया था।

हरियाणा विधानसभा चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए ही इस बार अहम होने वाली हैं क्योंकि पिछले 10 सालों से एनडीए गठबंधन हरियाणा में अपनी सत्ता बनाए हुए हैं लेकिन कांग्रेस चाहेगी इस बार उसे भी सत्ता का स्वाद चखने का मौका मिले। जिसके लिए कांग्रेस हरियाणा विधानसभा चुनाव में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहती है। लोकसभा चुनाव में मिले सफल नतीजों से कांग्रेस गदगद है।

जम्मू कश्मीर का क्या है समीकरण?

जम्मू कश्मीर आज से नहीं बल्कि शुरुआती समय से ही भारत के लिए एक अभिन्न हिस्सा रहा है यहां पर चाहे चुनाव कराने हो या यहां पर किसी भी तरह का कोई बदलाव करना हो तो उसके लिए बड़े कदम उठाने पड़ते हैं अगर बात की जाए जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर तो जम्मू कश्मीर में आखिरी बार विधानसभा के चुनाव साल 2014 में हुए थे जिसमें किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया था और जिसके कारण वहां गठबंधन की सरकार बनाई गई थी। यह गठबंधन की सरकार भाजपा और पीडीपी के बीच बनी थी जो की 4 साल में ही समर्थन टूटने के कारण 2018 में खत्म हो गई।

तभी से लेकर आज तक जम्मू कश्मीर में विधानसभा के चुनाव नहीं हो सके हालांकि इस बार के विधानसभा चुनाव जम्मू कश्मीर के लिए बेहद अहम रहने वाले हैं क्योंकि धारा 370 हटाने के बाद से यह पहले चुनाव होंगे जो जम्मू कश्मीर में कराए जाएंगे।
बता दें कि जम्मू कश्मीर में 2014 के विधानसभा चुनाव में 87 सीटें निर्वाचन के लिए थी जिसमें से बहुमत के लिए 44 सीटों की जरूरत थी हालांकि इन चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिल पाया जबकि इन चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में पीडीपी और भाजपा उभर कर सामने आई। हालांकि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी भी वह जादुई आंकड़ा नहीं छू पाई जो बहुमत के लिए आवश्यक था।

आईए अब आपको बताते हैं कि 2014 के विधानसभा चुनाव में किस पार्टी को कितनी सीटें मिली थी। पीडीपी को 28, भाजपा को 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15, कांग्रेस 12, जेकेपीसी 2, सीपीआईएम 1, पीडीएफ 1 और निर्दलीय को 03 सीटें मिली। इन आंकड़ों के चलते किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया था और गठबंधन की सरकार जम्मू कश्मीर में बनी जो कि केवल 4 साल में ही ध्वस्त हो गई।

आपको बताते चलें कि जम्मू कश्मीर में किन पार्टियों का दबदबा सबसे ज्यादा बना हुआ है और वह कौन से नेता है जो अपना वर्चस्व पर पिछले कई सालों से जम्मू कश्मीर में बने हुए हैं। जम्मू कश्मीर में तीन पार्टियां सबसे ज्यादा उभर कर सामने आ रही है जिसमें पीडीपी, भाजपा और कांग्रेस हैं।

इस बार के चुनाव इसलिए भी अहम रहने वाली हैं क्योंकि इस बार 87 सीटों की जगह 90 सीटों पर चुनाव कराया जाएगा तो बहुमत के लिए 46 सीटों की जरूरत पड़ेगी यह देखने लायक होगा कि इस बार के विधानसभा चुनाव जम्मू कश्मीर के लिए क्या बदलाव लेकर आती हैं क्या धारा 370 हटाने का फायदा बीजेपी को मिलेगा या फिर पिछली बार की तरह फिर से सत्ता की कमान डबल इंजन पर आ जाएगी।

जम्मू कश्मीर में 2014 के चुनाव से पहले मुख्यमंत्री के पद पर उमर अब्दुल्ला जेकेएनसी कांग्रेस के साथ गठबंधन में सरकार बनाकर बने थे। हालांकि 2014 के चुनाव के बाद सरकार बदलने पर भाजपा और पीडीपी के गठबंधन से मुफ्ती मोहम्मद सईद को मुख्यमंत्री बनाया गया था।

जम्मू कश्मीर में बीजेपी, पीडीपी, कांग्रेस और जेकेएनसी का दबदबा है हालांकि इस बार के चुनाव सभी राजनीतिक दलों के लिए बेहद मुश्किल रहने वाले हैं क्योंकि जब से जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटी है वहां पर कई तरह के नियमों में बदलाव हो चुका है इसके कारण वहां पर सरकार बनने पर बहुत कुछ बदल सकता है।

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