धर्म का मर्म समझो

हिंदू कहे मोहे राम प्यारा,
तुर्क कहे रहमाना,
आपस में दोऊ लड़ि लड़ि मरे,
मर्म न जाना कोऊ।

कबीर दास जी कहते हैं कि हिंदुओं को राम प्यारा और मुसलमान को रहमान। इसी बात पर वे आपस में लड़ते- झगड़ते रहते हैं, लेकिन सच्चाई को नहीं जानते।
अच्छा हुआ था भगवान श्री राम बानरों को लंका लेकर गए थे। अगर इंसानों को लेकर गए होते तो सोने की लंका देखकर आधे तो रावण के पक्ष में हो जाते।
दुनिया को खुश करने के चक्कर में मत पडो। दुनिया कभी किसी से खुश नहीं होती। यहां राम जी को भी सुनना पड़ा। यहां माता जानकी को सुनना पड़ा। यहां भगवान श्री कृष्ण को शिशुपाल ने सौ गालियां दी। हम और आप कौन होते हैं, जब भगवान तक सुन सकते हैं, तो हम साधारण लोग हैं हमें कभी भी किसी की आलोचना से घबराना नहीं चाहिए।

मानव जीवन पुण्य कर्मों का फल है, इसे व्यर्थ न गवाएं। हर मरते इंसान को यह पछतावा होता है, कि काश उसने अपनी जिंदगी अपने हिसाब से जी होती और लोगों की परवाह नहीं की होती। काश उसने अपना समय अपने परिवार के साथ बिताया होता और जीवन में उतनी ही भाग दौड़ ना की होती। काश उसने अपने मन की बात दूसरों के साथ साझा की होती। काश वह अपने मित्रों के संपर्क में रहता और उनके साथ अधिक से अधिक समय बिताता। काश उसने अपने आप को खुश रखा होता । कोई भी मरने वाला व्यक्ति यह नहीं कह पाता कि काश वह कुछ और संपत्ति बना लेता। मरते वक्त भौतिक वस्तुओं के लिए पछतावा नहीं होता। हमें दूसरों की बातों की परवाह न करके अपना जीवन, अपने ढंग से जीना चाहिए। जो लोग हमारे दिल के करीब होते हैं। हमें खुलकर अपने मन की बातें उनसे साझा करना चाहिए। अगर आपके मन में किसी के लिए कोई बात घूमड रही है तो उसे अवश्य बताएं। दिल में छिपा कर न रखें, इससे मन का बोझ हलका होता है। अपने परिचितों के संपर्क में रहने से पुरानी मीठी यादें ताजी हो जाती हैं। हर व्यक्ति को यह पता होता है कि उसे किस बात से खुशी मिलती है। परंतु वह उसे नहीं करता और अपने आप को रोके रखता है। हमारी खुशी का नियंत्रण हमारे हाथों में होता है। जिस किसी काम से आपको खुशी मिले उसे अवश्य करें।

एक बार एक विदेशी पर्यटक ने एक संत से भेंट की। वह यह देखकर चकित रह गया की संत के घर में एक साधारण सा कमरा था। एक चटाई थी, एक मिट्टी का घड़ा था, एक दीपक था और कुछ बर्तन थे। घर में कोई अन्य सुख सुविधा की व्यवस्था नहीं थी। पर्यटक ने संत से पूछा- कि आपके घर में कोई सुख सुविधा का सामान नहीं दिख रहा, ऐसा क्यों? संत ने पलट कर पर्यटक से पूछा – आपका सामान कहां है? पर्यटक ने कहा कि मैं एक यात्री हूंँ और यहां से घूमने के बाद अपने देश में वापस लौट जाना है। संत ने हंसकर जवाब दिया – मैं भी तो इस दुनिया में एक यात्री हूं और मुझे भी तो वापस जाना है।

रोटी कपड़ा और मकान की चिंता के साथ साथ धर्म को भी मजबूत कीजिए। जहां धर्म कमजोर होता है, वहां रोटी कपड़ा और मकान छीन लिए जाते हैं। कपड़े उतार दिए जाते हैं और मकान जला दिए जाते हैं। काशी को शिव का वरदान है जो यहां मरेगा वह स्वर्ग में जाएगा और इसी तरह हडम्बा को श्राप है कि जो यहां मारेगा वह नरक में जाएगा। कबीर जीवन भर बनारस में रहे, परंतु करने के समय हडम्बा चले गए उनका मानना था कि स्थान का कोई महत्व नहीं। यह मनुष्य के कर्म हैं जो उसे स्वर्ग या नरक ले जाते हैं। कठोर मन वाला व्यक्ति जिसमें दया नहीं होती, दूसरों को पीड़ा पहुंचाता है, वह कहीं भी मरे, नरक ही जाएगा। हरि का भजन करने वाला संत, कहीं भी मरे वह, स्वर्ग ही जाएगा।

-एस आर अब्रोल
वरिष्ठ स्तंभकार

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