नई दिल्ली। 15वें विश्व ग्रामीण स्वास्थ्य सम्मेलन 2018 का उद्घाटन भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने नई दिल्ली में किया। 26 अप्रैल से 29 अप्रैल तक चलने वाले इस चार दिवसीय सम्मेलन में 40 से अधिक देशों के हजारों विदेशी प्रतिनिधि, मेडिकल प्रैक्टिसनर्स और प्रोफेशनल प्रशिक्षु हिस्सा ले रहे है।
नायडू ने कहा 70 साल की आजादी के बाद भी भारत की 52 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और समग्र रूप से उनके विकास को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। भारत सरकार ग्रामीण स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखकर काम कर रही है। डॉक्टर-मरीज का गिरता अनुपात, स्वास्थ्य सेवाओं की खराब स्थिति और स्वास्थ्य सेवाओं की कम उपयोगिता, कुशल पारामेडिक का अभाव और खराब बुनियादी सुविधाएं इस क्षेत्र की बड़ी समस्याएं हैं। निजी क्षेत्रों, एनजीओ और डॉक्टरों के संगठन समेत सभी अंशधारकों की सक्रिय भागीदारी से ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्रित और तरजीही चिकित्सा दी जानी चाहिए। समग्र और व्यवस्थित पहल ही इन असमानताओं को दूर कर सकती है और किफायती स्वास्थ्य प्रणाली सुनिश्चित कर सकती है। दुनिया में स्वास्थ्य सेवाओं के निजीकरण की दिशा में भारत भी सबसे तेजी से उभरता क्षेत्र है जहां स्वास्थ्य सेवाओं पर 72 फीसदी खर्च निजी क्षेत्र में ही होता है।
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इस सम्मेलन में मौजूदा स्वास्थ्य ढांचे में सुधार की रणनीति पर चर्चा के लिए कई कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा और भारत की प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना की बेहतरी के लिए नवोन्मेषण लाने में यह उपयोगी साबित होगा। वैज्ञानिक कार्यक्रमों पर चर्चा और चिकित्सा जगत के पेशेवरों द्वारा दूरदराज के इलाकों में ग्रामीण स्वास्थ्य के लिए दौरा कार्यक्रमों पर भी इस आयोजन में चर्चा की जाएगी।