नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम के कुप्रबधन और प्रशासनिक अव्यवस्थाओं के कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा राजधानी दिल्ली में गाजीपुर, भलस्वा और औखला की तीनों लैंडफिलों पर ठोस कचरे के अनुचित प्रबंधन के लिए 900 करोड़ जुर्माना लगाया गया है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन एवं पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज ने दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम को आड़े हाथ लेते हुए कहा है कि दिल्ली नगर निगम द्वारा ठोस कचरे का निवारण करने में विफलता का ही परिणाम है कि तीनों लैंडफिलों पर 80 प्रतिशत कचरा पुराना जमा हुआ है और तीनों साईटों पर 300 लाख मीट्रिक टन कचरे का किसी भी तरीके से प्रबंधन और निवारण करने में दोनो सरकारें पूरी तरह से फेल रही हैं।
श्री भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार को 900 करोड़ रुपये की बड़ी राशि के मुआवजा का एनजीटी को भुगतान करने के आदेश का असर दिल्ली की टैक्स पेयर जनता पर अनुचित भार पड़ेगा, जबकि दिल्ली सरकार का 38155 करोड़ का बजटीय घाटा पहले ही केग द्वारा उजागर हो चुका है। उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार की लापरवाही और कुप्रबंधन के चलते 152 एकड़ की सावर्जनिक जमीन पर बने तीनों लैंडफिलो में ठोस कचरे के पहाड़ बनने से राजधानी में पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है जिससे दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानियों में से एक बन गई है।
श्री भारद्वाज ने कहा कि जुलाई 2019 में एनजीटी ने लैंडफिलों से कचरा हटाने का आदेश दिया था परंतु 38 महीनों में अब तक मात्र 59 लाख टन कचरा हटाया गया है, कचरा निवारण की रफ्तार यदि यही रही तो बाकी कचरे को हटाने में लगभग 12 साल लग जाऐंगे। केजरीवाल की दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम की लैंडफिलों से कचरा निवारण की रफ्तार चिंताजनक है।