नई दिल्ली। ग्रामीण स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश में पहली बार 15वें विश्व ग्रामीण स्वास्थ्य सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह सम्मेलन नई दिल्ली में 26 से 29 अप्रेल के बीच आयोजित किया जाएगा, जिसका शुभारंभ देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू करेंगे। इस चार दिवसीय विशाल सम्मेलन में 40 से अधिक देशों की प्रतिनिधि और चिकित्सा जगत के लोग शिरकत करेंगे।
कार्यक्रम के तहत आयोजित कार्यशालाओं में प्राथमिक ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल संबंधी ढांचे में सुधार और नवाचार लाने के लिए रणनीतियां बनाई जाएंगी। इसके तहत चिकित्सा जगत के प्रतिनिधियों को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी देने के लिए रोजाना भ्रमण पर ले जाया जाएगा और वैज्ञानिक कार्यक्रमों पर चर्चा कराई जाएगी।
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एएफपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष डॉ. रमन कुमार के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य के ढांचे में सुधार की जरूरत एक चिंता का विषय है और इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। देश की 70 फीसदी से अधिक जनसंख्या गांवों में रहती है। दूसरे विकसित देशों से तुलना करें तो हम पाएंगे कि हमारे देश में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर कम ध्यान दिया जाता है। एक ओर जहां, यूएस, यूके जैसे देशों में उनकी जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का करीब 15 फीसदी भाग स्वास्थ्य पर खर्च किया जाता है, वहीं भारत में जीडीपी का महज 1.3 प्रतिशत हिस्सा सेहत का है।
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जब तक स्वास्थ्य पर होने वाले व्यय का यह प्रतिशत बढ़ाया नहीं जाएगा, स्वास्थ्य को प्राथमिकताओं वाले क्षेत्र में शामिल नहीं किया जाएगा और जब तक स्वास्थ्य सेवाओं को मूल नागरिक अधिकारों में शामिल नहीं किया जाएगा, तब तक देश में स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थितियों में सुधार नहीं होगा।