नई दिल्ली। गैरतलब है कि 23 जनवरी को हुए दिल्ली व्यापार बंद के बाद एक बार फिर दिल्ली के व्यापारियों ने सीलिंग के खिलाफ कमर कस ली है और आगामी दो-तीन फरवरी को दिल्ली के व्यापारी 48 घंटे का दिल्ली व्यापार बंद का आवहान किया है। व्यापारियों की मांग है की दिल्ली के व्यापार और व्यापारियों को सीलिंग की मार से पूर्ण रूप से बचाने के लिए केंद्र सरकार संसद के आगामी सत्र के शुरआत में ही बिल लाये। उधर दूसरी ओर देश भर के प्रमुख व्यापारी नेता भी तीन फरवरी को दिल्ली के व्यापारियों के समर्थन में दिल्ली में व्यापार बंद में शामिल होंगे। व्यापार बंद के दौरान दिल्ली में सभी होलसेल और रिटेल बाजार पूरी तौर पर बंद रहेंगे।
कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के आवाहन पर दिल्ली व्यापार बंद की घोषणा की गयी है। यह निर्णय व्यापारियों की एक बैठक में लिया गया जिसमें दिल्ली की 500 प्रमुख मार्केटों के व्यापारी नेता मौजूद थे !
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया की 48 घंटे के व्यापार बंद के दौरान दिल्ली की विभिन्न मार्केटों में व्यापारी विरोध मार्च निकलेंगे और अपनी मार्केटों में धरने देंगे। इस से पहले व्यापारी प्रतिनिधिमंडल दिल्ली के सातों सांसदों एवं विधायकों का घेराव करते हुए अपना ज्ञापन सौंपेंगे। इसके अलावा सभी राजनैतिक दलों के प्रमुख नेताओं को भी व्यापारी अपना ज्ञापन देंगे।खण्डेलवाल ने कहा कि जिस तरह से बिना किसी अपील या दलील के दिल्ली में मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा सीलिंग की जा रही है वो बेहद अमानवीय है। बिना कोई कारण बताये सीलिंग की जा रही है और दिल्ली नगर निगम कानून 1957 की मूल प्रावधानों को ताक पर रखा जा रहा है। मॉनिटरिंग कमेटी न किसी की बात सुनती है व न ही कोई कागज देखती है। एक तरह से दिल्ली में एक अतिरिक्त प्रशासनिक बॉडी की तरह मॉनिटरिंग कमेटी काम कर रही है जो देश के प्रजातान्त्रिक स्वरुप के लिए बेहद घातक है। व्यापारियों को उत्पीड़ित किया जा रहा है। उनहोंने दिल्ली नगर निगम पर एक कठपुतली के सामान काम करने का आरोप लगाया है।