प्रमोद गोस्वामी,
सबसे बड़ा लोकतंत्र एक बार फिर से ईवीएम के जिन का भेंट चढ़ गया है। एग्जिट पोल के आकड़े आने के बाद विपक्षी पार्टियों में बौखलाहट देखने को मिल रहा है। महज कुछ घंटों में देश के सरकार का फैसला होने वाला है, ऐसे में ईवीएम को लेकर हिंसा की बात करना विपक्षी पार्टियों का क्या जानबूझकर सोची-समझी साजिश है? आज लोकतंत्र में ईवीएम को लेकर रजनीतिक पार्टियों में यह कहा जा रहा है कि सड़कों पर खून बहेगा, गृह युद्ध छीड़ जायेगा क्या यही लोकतंत्र है? जिनके हाथों में हम देश चलाने की बाग-डोर सौपना चाहते है आज वही अपनी चंद फायदों के लिये देश तोड़ने की बात करते है क्या यही लोकतंत्र है?।
भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट कर कहा ईवीएम का विरोध देश की जनता के जनादेश का अनादर है। अपनी संभावित हार से बौखलाई विपक्ष की यह 22 पार्टियां देश की लोकतांत्रिक प्राक्रिया पर सवालिया निशान उठाकर विश्व में देश और अपने लोकतंत्र की छवि को धुमिल कर रही है।
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अमित शाह ने ईवीएम की विश्सनीयता पर प्रश्न उठाने वाली पार्टियों से पुछा है कि विपक्षी पार्टियों ने भी कभी न कभी ईवीएम द्वारा हुए चुनाव में विजय प्राप्त की है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की और हाल ही में देश के पाॅच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 4 राज्यों में सरकार बनाई तब तो हमने ईवीएम पर प्रश्न नहीं उठाया। तो क्या यह माना जाए कि जब विपक्ष की विजय हो तो उन्होंने चुनाव जीता और जब हार हो तो उन्हें ईवीएम ने हरा दिया। यदि उन्हें ईवीएम पर विश्वास नहीं है तो इन लोगों ने चुनाव जीतने पर सत्ता के सूत्र को क्यों संभाला? शाह ने और कई सवाल दागे।
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