साक्षात्कार, दिल्ली सरकार मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम, एवं युवा सियासत के संपादक प्रमोद गोस्वामी!
राजेन्द्र पाल गौतम का जन्म दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले के घोण्डा क्षेत्र में हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री लेने के साथ-साथ इन्होंने गरीब परिवारों के तकरीबन सैकड़ों बच्चों को मुफ्त शिक्षा दिलाने तथा युवाओं में नशे की लत छुड़ाने का काम किया है।
इन्होंने 1987 में बाबा साहेब अम्बेडकर द्वारा स्थापित समता सैनिक दल के सैनिक बनकर पूरे देश में दलितों और पिछड़ों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी। सन् 2001 में समता सैनिक दल को दिल्ली सरकार द्वारा डा0 अम्बेडकर रत्न अवॉर्ड दिया गया।
समाज में गहरी पकड़ एवं जुझारू प्रवृति को देखते हुए गौतम को सन् 2002 में दल के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव का दायित्व सौंपा गया जिसे उन्होंने पूरी तन्मयता के साथ आठ साल तक निभाया। इनके द्वारा दलितों के लिए किए गये संघर्ष के कारण ही महामहिम राष्ट्रपति द्वारा हाल ही में 2017 में समता सैनिक दल को डा0 अम्बेडकर रत्न अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
2014 में आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल की विचारधारा से प्रभावित होकर ये केजरीवाल के पार्टी में सक्रिय हो गए और 2015 में सीमापुरी विधानसभा से विधायक चुने गये। वर्तमान में दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर समाज कल्याण मंत्रालय, अनुसूचित जाति-जनजाति मंत्रालय, रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटीज व गुरुद्वारा इलेक्शन का प्रभार संभाल रहे हैं।
प्रस्तुत है..राजेन्द्र पाल गौतम और ‘युवा सियासत’ संपादक प्रमोद गोस्वामी के बीच बातचीत के प्रमुख अंश…
1. समाज कल्याण मंत्रालय के कार्यों के बारे में बताएं?
समाज कलयाण विभाग सभी वेलफेयर से जुड़े समाज के कार्यों को चलाता है। अफसोस की इस देश में लोग इस विभाग को ज्यादा तवज्जो नहीं देते, वरना जितने भी विभाग की योजनाएं है, जैसे बुजुर्गों का पेंशन, विकलांग पेंशन, रात्रि विश्रामालय आदि इस विभाग के तहत चलाएं जाते है। हालांकि, कुछ सालों से विभाग को दो भागो में बांट दिया गया है। महिला बाल विकास विभाग अलग बन गया है जो बच्चों के लिए आंगनबाड़ी के तहत काम कर रहा है। होप होम, ओल्ड एज होम, नेत्रहीन बच्चे, जिनके परिवार वालों ने उन्हें छोड़ दिया है, कई ऐसे लोग है जिनका जाति-धर्म नहीं पता ऐसे लोगों को पुलिस के माध्यम से ऐसे होम में भर्ती करना जहां उन्हें स्किल सिखाई जाती है और यह सब समाज कलयाण विभाग के माध्यम से होता है। आशा किरण, आशा दीप, आशा ज्योति जैसे अलग-अलग होम काम कर रहे है।
2. एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा संसद में बहुमत का दुरुपयोग करते हुए पलट देने को आप कैसे देखते है। इस मुद्दे पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
जब यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के सामने सुनवाई के लिए आया था तो कोर्ट के डिवीजन बेंच ने राज्य और केन्द्र सरकारों के वकीलों से सवाल किया। क्या आप मानते है कि एससी-एसटी एक्ट का दुरुपयोग होता है तो उन वकीलों ने कोर्ट के सामने सही तथ्य रखने के बजाय कहा कि दुरुपयोग होता है। कोर्ट के जजों ने अपना निर्णय दे दिया। उन्हें बताना चाहिए था कि जो एक्ट है वह किन परिस्थितियों में बना और क्यों अभी तक पारित नहीं हुआ। क्यों राज्य और केन्द्र सरकारें विफल हुई है? जाति-उत्पीड़न के मामले सरकारें क्यों नहीं रोक पा रही है? वकीलों ने वह सारी बाते नहीं बताई जो केन्द्र के तरफ से महाराष्ट सरकार रिप्रेजेंट कर रहा था। सभी तथ्यों को राज्य व केन्द्र सरकार के वकीलों को रखने चाहिए थे, वह उन्होंने नहीं रखें। और केवल एक पक्ष पर हां कर दिया कि दुरुपयोग होता है। इस पर पहले भी पांच बेंच की जजमेंट आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य और केन्द्र सरकारें विफल हुई है। देश के दलितों ने दो अप्रैल को शांतिपूर्वक विरोध प्रर्दशन किया, जिससे केन्द्र सरकार पर दबाव पड़ने से लोकसभा में प्रस्ताव पास किया। कोर्ट ने तीन शर्ते बेहद गंभीर लगाई जो दूसरे कानून में नहीं है।
3. आरक्षण का मुद्दा इनदिनों एक बार फिर से जोर पकड़ने लगा है। आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग कितना जायज है?
आर्थिक आधार पर आप सर्वे करेंगें तो लोग सक्षम है। वह लोग पहले से ही आरक्षण लेना पसंद नहीं करते, क्योंकि रिजर्वेशन एक चलन बन गया है जिससे आज हम अपमानित होते है। आज हमारे बच्चे आईएएस में टॉप कर रहे है। वह सक्षम हैं, रिजर्वेशन नहीं चाहते, हमें रिजर्वेशन नहीं शासन में भागीदारी और हिस्सेदारी चहिए। जो अन्यायकारी नीति देश में चल रही है उसे खत्म करना ही देश के लिए अच्छा होगा। आज लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है, दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा को मजबूत करने के लिए काम किया है। अगर पूरे देश के राज्य स्वाथ्य और शिक्षा पर काम और निजी स्कूलों को बढ़ावा देना बंद करें तो मैं समझता हूं कि दुनिया में भारत का कद बढ़ेगा। दिल्ली ने इसकी शुरुआत की है। पूरी दुनिया में सिर्फ दिल्ली सरकार ही शिक्षा पर 24 प्रतिशत और स्वास्थ्य पर 12 प्रतिशत खर्च कर रही है।
4.’आप’ की सरकार ने पिछड़े और दलितों के विकास के लिए अब तक क्या किया?
‘आप’ की सरकार लगातार इन सभी वगों के लिये गंभीरता पूर्वक काम कर रही है। सरकारी अस्पतालों में और स्कूलों में पिछड़े वर्ग, दलितों के लोग ही ज्यादातर जाते है। स्कूलों में सुविधा देना और मुफ्त दवाइयां देना उसी स्कीम की तहद है, ताकि इनका जीवन सुधर सकें। हमारे मंत्रालय ने जय भीम विकास योजना बनाई है कि हमारे बच्चे मेहनत कर सके, उनका इस योजना के तहत विकास हो सके। एससी-एसटी ओबीसी स्कॉलरशिप दे रहे है। ऐसी बहुत सारी योजनाएं चल रही हैं और कई योजना पाइप लाइन में है।
5. अजादी के 72 साल बीत जाने के बाद भी आज तक इस देश की एक-तिहाई आबादी को जिंदगी के लिए जरूरी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति क्यों नहीं हो रही है?
जब सरकारों की यह इच्छा ही नहीं है कि हमें गरीबी खत्म करना है। हमें लोगों को अच्छी स्वास्थ्य, शिक्षा देनी है, स्किल का गुण देना है और उनको इस लायक बनाना है कि वह रोजगार पा सके। यह योजना सरकारों के अन्दर नहीं है। इस सोच को बदलना होगा। दलितों को वोट बैंक के नजरिए से देखने के बजाय विकास की योजना बनाकर इनके प्रति काम करना होगा। खानापूर्ति करने से काम नहीं चलेगा, जब तक सरकारों में बैठे लोगों की नीयत साफ नहीं होगी, तब तक बात बनने वाली नहीं है।
6. पिछले दिनों पूर्वी दिल्ली में तीन बच्चियों की मौत भूखमरी से हुई। जरूरतमंद परिवारों को राशन कार्ड नहीं बनने के पीछे क्या कारण हो सकता है?
देखिए पहले 72 लाख की लिमिट थी, लोग दिल्ली में आते जा रहे है काफी मात्रा में लोग बाहर से आकर यहां बस गए है, संख्या बढ़ती जा रही है तो राशन कार्ड की कोटा भी बढ़ना चाहिए। केन्द्र सरकार और राशन कार्ड बनाने की अनुमति नहीं दे रही है जिसकी वजह से दिक्कत आ रही है। अगर कोई भूख से मरता है तो इससे शर्मनाक बात किसी भी सरकार के लिए नहीं हो सकती।
7. आर्थिक रुप से कमजोर परिवार के बच्चों की पढ़ाई और रोजगार के लिए ‘आप’ की सरकार और मंत्रालय की क्या योजनाएं है? इस पर कुछ प्रकाश डालें।
12वीं में किसी से कोई फीस नहीं लिया जायगा। इडब्ल्यू के वर्गों के लिए निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत दाखिला किया गया है। साथ में स्किल सेंटर भी बनाया गया है और बड़े पैमाने पर काम भी हो रहा है। अभी हमें तीन साल हुए है केन्द्र सरकार के तमाम विरोध के बावजूद हम इतना सब कर पाए है। मुझे लगता है वह कम नहीं है और आने वाले समय में बहुत बड़े स्केल पर काम दिल्ली के अन्दर होगा।
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