लेख,
1949 में कृष्णन मेनन को जीप घोटाला में बचाने की नींव डालकर जवाहर लाल नेहरू ने संस्थागत भ्रष्टाचार की नींव रखी थी, जो आगे चलकर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरो और उनके परिवार द्वारा पुष्पित-पल्लवित हुआ, फिर तो चाहे इंदिरा गांधी के कार्यकाल में हुआ भ्रष्टाचार हो या फिर राजीव गांधी के कार्यकाल में बोफोर्स घोटाला, क्वात्रोची को देश से निकलने में मदद देने के साथ-साथ विदेशी बैंकों में सीज खातों से पैसे की निकासी में खुलकर मदद करना। इससे पहले विदेश मंत्री को स्वीडन भेजकर बोफोर्स तोप की खरीद में हुए घोटाला की जांच न करने के लिए चिट्ठी देना। भोपाल में हजारों लोगों की असामयिक मौत के जिम्मेदार शख्स को अमेरिका भागने में मदद करना कांग्रेस और गांधी-नेहरू परिवार के उन चुनिंदा पापों में से है जिसके कारण अन्य दलों और नेताओं को भ्रष्टाचार करने और बेदाग बच निकलने, परिवारवाद को बढ़ावा देने की प्रेरणा मिली।
सत्ता के लिए संविधान के साथ छेड़छाड़, तुष्टिकरण, छद्म धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा कांग्रेस की देन है। इसी कांग्रेस ने भारतीत जनता पार्टी को रोकने के लिए लालू प्रसाद यादव के भ्रष्टाचार को न सिर्फ अनदेखा किया, बल्कि एक हद तक
बचाव भी किया। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि किसी भी दल के नेताओं के लिए भ्रष्टाचार और परिवारवाद को बढ़ावा देना कोई मुद्दा नहीं रहा।
आज भ्रष्टाचार ने संस्थागत रूप ले लिया है। अगर, जीप घोटाला के आरोपी कृष्णन मेनन का जवाहर लाल नेहरू ने बचाव नहीं किया होता तो देश के नेताओं को इससे एक सबक मिलता, लेकिन नेहरू ने मेनन को न सिर्फ बचाया बल्कि उसे रक्षा मंत्री बना दिया, जिसका दुष्परिणाम चीन से बुरी हार के रूप में मिला। भारतीय सैनिकों को सैन्य सामान की आपूर्ति नहीं मिली। यहाँ तक कि ठंड में पहनने के लिए सही कपड़े और जूते तक नहीं थे। भारतीय वायुसेना को जंग में उतरने की इजाजत नहीं दी गई। भारतीय वायुसेना को इजाजत मिली होती तो जंग का परिणाम कुछ और होता। कम्युनिस्टों के दबाव में नेहरू अंत-अंत तक किंकर्तव्यविमूढ़ बने रहे। सैनिकों का हौसला बढ़ाने और उन्हें साजोसामान मुहैया कराने की जगह नेहरू दतिया स्थित माता पीताम्बरा मंदिर में यज्ञ करा रहे थे। ये और बात है कि यज्ञ की पूर्णाहुति के दिन संयुक्त राष्ट्र संघ ने युद्ध विराम की घोषणा की, तब तक चीन लाखों किलोमीटर भारतीय जमीन हड़प चुका था।
इसमें कोई शक नहीं कि नेहरू ने देश में कल-कारखाने लगाए, बड़े-बड़े बांध बनबाए, लेकिन जीप घोटाला के आरोपी को बचाने, भ्रष्टाचार को संस्थागत मान्यता देने, कश्मीरी पंडितों, चीन द्वारा हमले और पराजय के अलावा पाक अधिकृत कश्मीर, मुस्लिम तुष्टिकरण, छद्म धर्मनिरपेक्षता का ऐसा मुद्दा है जिसके कारण कांग्रेस के प्रति करोड़ों भारतीयों के मन में सदा-सदा के लिए घृणा का भाव भर चुका है। आज व्यापमं घोटाला हो या अन्य सभी के आरोपियों को इसी से हिम्मत मिलती है।
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नेता चाहे किसी भी दल का हो उससे नैतिकता की अपेक्षा करना बेकार है, क्योंकि करोड़ों रुपए खर्च कर चुनाव जीतने वाले लोग सबसे पहले अपने आकाओं के निवेश को कम से कम दोगुना या तिगुना रिटर्न देना अपना पहला कर्तव्य समझते हैं। साधारण बात है कोई व्यक्ति किसी पर पैसे क्यों खर्च करेगा, जबतक कि उसका कोई निजी स्वार्थ न हो।
लेखक, -हरेश कुमार
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