अल्मोड़ा, ब्यूरों
यु.सि.। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी उपपा ने आरोप लगाया है कि विधानसभा में चुने हुए प्रतिनिधियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने से रोकना लोकतांत्रिक व्यवस्था का अपमान है। उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने लोहाघाट के भाजपा विधायक पूरन सिंह फर्त्याल पर प्रदेश की जीरो टॉलरेंस एवं डबल इंजन की भाजपा सरकार द्वारा विधान सभा में सवाल उठाने पर की जा रही कार्यवाही पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जनता, जनप्रतिनिधियों को लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुप रहने के लिए नहीं आवाज उठाने के लिए चुनती है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था में, विधायक पार्टी से पहले जनता का प्रतिनिधि होता है।
उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष ने कहा सत्ता में कार्यपालिका, मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री जैसे पदों को प्राप्त असीमित अधिकारों के चलते विधायिका में जनप्रतिनिधियों के पास जनता की आवाज उठाने के अवसर बहुत सीमित हो गए हैं जिस कारण सामाजिक, राजनैतिक जीवन में नौकरशाही हावी हो गई है। उन्होंने कहा कि गत 23 सितंबर को उत्तराखंड की विधानसभा में मात्र 3 घंटे में जिस तरह 19 विधेयकों और 10 अध्यादेशों के बिना किसी बहस के पास होने की सूचना है उससे विधानसभा की प्रासंगिकता पर भी प्रश्न चिन्ह खड़े हो रहे हैं और जनता यह सोचने के लिए मजबूर हो रही है कि यदि व्यवस्था ऐसे ही चलनी है तो जनता की गाड़ी कमाई के लाखों रुपए जनप्रतिनिधियों पर लुटाने का औचित्य क्या है?