भारत सरकार में सचिव के लगभग 100 पदों पर केवल 4 एससीएसटी

संयुक्त सचिव के 249 पदों में केवल 26 एससी/एसटी पद आरक्षित है
नई दिल्ली। अनुसूचित जाति जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ उदित राज ने गुरूवार को कहा कि ‘‘सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण लागू करने का रास्ता स्पष्ट कर दिया है। समस्त दलित आदिवासी इसके लिए न्यायाधीशों के द्वारा दिए गये न्याय के लिए धन्यवाद करते हैं। यह बड़े दुःख की बात है कि समय-समय पर तमाम तरह के हमले दलित आदिवासी के ऊपर होते रहते हैं।
20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 को बेहद कमजोर कर दिया गया है, इसके पहले विश्विद्यालय में शिक्षकां की भर्ती में रोस्टर प्वाइंट बदल दिया, जिससे विद्यालय इकाई न होकर के विभाग को इकाई मान कर आरक्षण दिया जाएगा। इससे दलित आदिवासी एवं पिछड़े वर्ग की भर्ती न के बराबर हो जाएगी। 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने नागराज के मामले में पदोन्नति में आरक्षण का रास्ता प्रशस्त किया फिर भी पीठ ने अड़चने खड़ी कर दी।

राज ने कहा कि अनुसूचित जाति जनजाति के संघर्ष की वजह से वाजपेई जी की सरकार ने 3 संवैधानिक संशोधन 81वां, 82वां, 85वां किये थे। दुर्भाग्य से 85वां संवैधानिक संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गयी जिस पर 5 जजों की पीठ ने नागराज के नाम के केस में फैसला दिया और फैसले में 3 शर्ते लगायीं जो कि बिलकुल उचित नहीं हैं।

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