भारत सरकार ने कारगिल में हमलावर पाकिस्तानी सैनियों को सम्मानपूर्वक दफनाया, इसके बावजूद पाकिस्तान का रवैया कभी नहीं सुधरा
एक भारत सरकार और यहां के नागरिक हैं, जो थोपे गए कारगिल युद्ध में मारे गए आतंकी कम पाकिस्तानी सेना के जवानों को अपने यहां सम्मानपूर्वक दफनाता है और दूसरी ओर पाकिस्तानी है जो किसी मुस्लिम को महज इसलिए कब्रिस्तान में जगह नहीं देता कि वो भारतीय है। पाकिस्तान के तत्कालीन सेनाध्यक्ष और फिर प्रेसिडेंट बने परवेज मुशर्रफ ने कारगिल युद्ध की साजिश रची थी,लेकिन बुरी तरह से मात खाने के बाद इस युद्ध में शहीद हुए अपने हजारों सैनिकों के शव को अपनाने से सिर्फ इस डर से इनकार कर दिया कि दुनिया में थू-थू होगी, वैसे भी दुनियाभर के लोग पाकिस्तान के बारे में कोई अच्छी राय नहीं रखते हैं। विदेशों में काम करने वाले पाकिस्तानी इस बात को अच्छी तरह से समझते और मानते हैं, तभी वो अपना देश भारत बताते हैं।
इस बात की तस्दीक तो पाकिस्तान में रहने वाला हर नागरिक करता है कि उसके देश के बारे में दुनियाभर के लोगों की राय सही नहीं। वह सिर्फ आतंक फैलाने वाला एक कट्टर मुस्लिम देश बन चुका है। पहले अमेरिका और सऊदी अरब के पैसों पर इसके सेना के वरिष्ठ अधिकारी और नेता अय्याशी करते थे और अब चीन का सहारा है।
भारत को घेरने के लिए चीन पाकिस्तान की मदद कर रहा है,लेकिन कब तक। चीन को जानने वाले जानते हैं कि वह एक पैसा भी वहीं खर्च करता है जहां से उसे 100 पैसे आने की उम्मीद हो, वह अपना पैर सऊदी अरब के रेगिस्तान से लेकर अफ्रीका तक फैलाने में लगा है, पाकिस्तान उसके लिए महज एक मोहरा है जिसे वह यूज करने के बाद फेंकने में तनिक भी देरी नहीं करेगा। यह तो पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी और नेताओं को सोचना चाहिए कि वो अपने देश के नागरिकों केभविष्य के लिए क्या छोड़कर जाना चाहते हैं। एक टूटा हुआ देश या फिर उम्मीदों भरा देश। वर्तमान में आतंकी गतिविधियों को समर्थन देना उसकी एकमात्र नीति है, भारत को बर्बाद करने चक्कर में पहले ही पाकिस्तान के टुकड़े हो चुके हैं,लेकिन उसकी आदत नहीं सुधरी।
एक तरफ वह भारतीय सैनिकों के साथ वहशियाना हरकतों को अंजाम देता है तो दूसरी तरफ, कश्मीर के मुद्दे को विश्व मंच पर उछालते हुए रोना रोता है कि भारत के साथ वह बातचीत का इच्छुक है। भारतीय नेता और सैनिक पाकिस्तान की रग-रग से वाकिफ हैं।
अच्छा है कि भारत में कम्युनिस्ट और कांग्रेस दोनों कमजोर हो चुके हैं और मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों से हिंदुस्तान की बहुसंख्यक आबादी घृणा करने लगी है। वरना पाकिस्तान की कश्मीर की दोगली नीति के समर्थकों की भारत में कमी नहीं रही कभी से।
पाकिस्तान से बातचीत किसी भी स्थिति में संभव नहीं और इसका कोई सुखद परिणाम कभी नहीं निकलने वाला है।
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भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री से लेकर अन्य प्रधानमंत्रियों ने पाकिस्तान को भरपूर मौका दिया।
नरेंद्र मोदी ने सभी से दो कदम आगे बढ़कर सत्ता पर बैठने के तुरंत बाद बिना बुलाए मेहमान की तरह पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर पहुंच गए और पाकिस्तान से बदले में पठनाकोट और उरी सैन्य शिविर पर हमला मिला। चीन के राष्ट्रपति को अहमदाबाद में आगवानी की और बदले में डोकलाम मिला।
चीन और पाकिस्तान से कभी भी अच्छी उम्मीद नहीं किसी को। चीन भारत का सबसे बड़ा दुश्मन है और इससे निपटने के लिए हमारे देश को हमेशा तैयार रहना चाहिए।
-हरेश कुमार
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