ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने जान पर खेल कर बचाई थी मायावती की जान

ब्रह्मदत्त द्विवेदी की आत्मा धिक्कार रही होगी इस कृतघ्न को, माया तू महाठगिनी निकली
श्रीरामचरितमानस किष्किंधाकाण्ड, शिव जी पार्वती जी से कह रहे है कि
सुर नर मुनि सब कै यह रीती।
स्वारथ लागि करहिं सब प्रीति।
भावार्थ: देवता, मनुष्य और मुनि सबकी यह रीति (आचरण) है कि स्वार्थ के लिए ही सब प्रीति (प्रेम) करते है।
तो हर व्यक्ति अपने स्वार्थ (सुख/आनंद) के लिए किसी से प्रेम करते है। वो चाहे जड़ (नशीले पदार्थ, मोबाइल, खाना) हो या चेतन (माता-पिता, पति-पत्नी) हो।
मायावती की प्राणरक्षा करने वाले ब्रह्मदत्त द्विवेदी की आत्मा आज रो रही होगी इस कृतघ्न पर। 1993 में सपा और बसपा ने गठबंधन किया और इस गठबंधन की जीत के बाद मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली, पर दोनो पार्टियों के बीच समन्वय नहीं बैठा और दो जून 1995 में बसपा ने सरकार से अलग होने का विचार किया और समर्थन वापसी की घोषणा हो गयी। इसी मुलायम सिंह सरकार अल्पमत में आ गयी, सरकार को बचाने के लिए सपा के लोग चिंतन करने लगे पर जब कुछ ना बन पाया तो वो लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुँच गये जहाँ मायावती कमरा नंबर-1 में ठहरी थीं। इस दौरान सपा के हथियारबंद लोगों ने गंदी गंदी जाती-सूचक गालियों के साथ बसपा के विधायकों और पार्टी के लोगों पर हमला कर दिया। पर बात यहाँ से शुरू होती है, इस पूरे के पूरे फसाद में बसपा के लोगों के साथ साथ पुलिस भी असहाय-सी हो गयी थी। सपा के लोगों ने मुख्य द्वार तोड़ डाला था और कम से कम 5 बसपा के विधायकों को जबरदस्ती घसीटते हुए मुख्यमंत्री के निवास पर ले जाया गया। कुछ को जबरदस्ती मुलायम सिंह सरकार के समर्थन में शपथ पत्र पर हस्ताक्षर के लिए बोला गया तो कुछ तो इतने डर गये की उन्होंने कोरे कागजों पर ही हस्ताक्षर कर डाले।
अब बताते हैं कि मायावती इस घृणित कांड से कैसे बचीं, यहाँ उनके ब्राह्मण भाई उनकी रक्षा के लिए मात्र एक लाठी लेकर सामने आ गये थे, उनका नाम था ब्रह्मदत्त द्विवेदी जो की भाजपा के विधायक थे और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े थे, तो जाहिर है वो लाठी चलना जानते ही थे। जब गुण्डों ने मायावती के ऊपर जातिसूचक शब्दों के साथ उनकी इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की तो ब्रह्मदत्त द्विवेदी ही अपने गेस्ट हाउस से निकले और अकेले गुंडों से लड़ गये।
ये घटना भारत की राजनीति के माथे का बहुत बड़ा दाग है। ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने मायावती को बचाया पर इसकी वजह से उनको मौत की नींद सोना पड़ा, उनकी सरेआम गोली मार कर हत्या कर दी गयी 11फरवरी 1997 को।
-हरेश कुमार

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