बिहार विधानसभा 2020: पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडे, ‘न घर के रहे, न घाट के’ राजनीतिक करियर हाशिये पर

खाकी और खादी के खेल मे फसे पूर्व डिजीपी गुप्तेश्वर पांडे ‘न घर के न घाट के’ राजनीतिक करियर हाशिये पर। जनता दल यूनाइटेड जेडीयू ने नही दिया टिकट अब समझ मे आने लगा सह और मात का खेल..

बिहार ब्यूरो, नीरज त्रिपाठी
बिहार। राजनीति, इसका मकसद हर हाल में जीत है वो भी किसी कीमत पर लेकिन एक बार फिर से बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय को सियासी गच्चा मिला है। वीआरएस लेकर जदयू में शामिल हुए गुप्तेश्वर पांडेय को इस बार चुनाव में उतरने का जनता दल यूनाइटेड जेडीयू ने मौका नही दिया गया। ऐसा कहा जा रहा है कि बक्सर या वाल्मीकिनगर से गुप्तेश्वर पांडे अंदर अंदर दावेदारी के लिए तैयार थे लेकिन ऐन वक्त पर गुप्तेश्वर पांडेय खाकी और खादी कि राजनीति मे फंस गए। पांडे 11 साल पहले भी खा गए थे गच्चा।

1987 बैच के आईपीएस अफसर रहे गुप्तेश्वर पांडे ने राजनीति में इससे पहले भी उतरने की कोशिश की थी। वर्ष 2009 में आईजी रहते हुए भी उन्होंने वीआरएस लिया था। बताया जाता है कि वह बक्सर से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे पर टिकट पकका नहीं हुआ और बाद में उन्होंने वीआरएस वापस ले लिया। दूसरी बार राजनीति में उतरने के लिए उन्होंने डीजीपी का पद छोड़ दिया सीएम नीतीश कुमार की मौजूदगी में जदयू की सदस्यता भी ली। उनके बक्सर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें काफी दिनों से थी पर मामला उस वक्त फंस गया जब सीट जदयू कोटे की बजाय बीजेपी के खाते में चली गई। इसके बाद यह चर्चा थी कि गुप्तेश्वर पांडेय भाजपा के प्रत्याशी हो सकते हैं पर बुधवार को उम्मीदवार की घोषणा के साथ यह आस भी खत्म हो गई। हालांकि अपोजिसन पार्टी के नेताओ के द्वारा बताया गया कि पूर्व डीजीपी बिहार सीएम नितीश कुमार के हाथो कि कठपुतली थे, वे बतौर डीजीपी पद पर रहते केवल नीतिश कुमार के इशारो पर रिमोट कि भांति चलते रहे, तो लाजमि हैं कि ऐसा कोई सगा नही दिसको नीतीश कुमार ने ठगा नही, बस इनके साथ भी, न घर के न घाट के वाली कहानी चरितार्थ हो गई।

यह भी पढ़ेंः पार्टी से नराज बिहार भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष की पत्नी शोभा देवी ने किया निर्दलीय नामांकन

पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कल यानि बुधवारा को अपने फेसबुक पेज पर लिखा था कि अनेक शुभचिंतकों के फोन से परेशान हूं। मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूँ। मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा, लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा। हताश निराश होने की कोई बात नहीं है, धीरज रखें। मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है। मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा। कृपया धीरज रखें और मुझे फोन नहीं करे। बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है। आगे लिखा है कि अपनी जन्मभूमि बक्सर की धरती और वहां के सभी जाति मजहब के सभी बड़े-छोटे भाई-बहनों माताओं और नौजवानों को मेरा पैर छू कर प्रणाम अपना प्यार और आशीर्वाद बनाए रखें।

अब आगे यह देखना बाकी हैं कि टिकट के मारे पांडे जी क्या रूख अख्तियार करते हैं क्योकि राजनीतिक विश्लेसको का मानना हैं कि राजनीति मे कल्टी मारना नेताओ के लिए आम बात हैं।

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *