नई दिल्ली, संवाददाता। बिस्किट निर्माताओं, विशेष रूप से एसएमई क्षेत्र, इसमें 18 प्रतिशत की दर पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के लागू होने के कारण मुश्किल के दौर से गुजर रहे हैं। यह उद्योग 18 प्रतिशत जीएसटी लागू होने के बाद मंद पड़ गया है और इसे दोबारा सुचारु करने के लिए जीएसटी की दर को 12 प्रतिशत तक कम करने की जरूरत है। बिस्किट एक बड़े पैमाने पर उपभोग किया जाने वाला खाद्य उत्पाद है, स्वच्छता से संसाधित बिस्किट के उपभोक्ता मुख्य रूप से गरीब वर्ग के लोग हैं, लेकिन बिस्कुट को एक प्रीमियम उत्पाद समझा गया है, जिसे समृद्ध समाज द्वारा उपभोग किया जाने वाला समझकर इसे उच्चो कर प्रणाली में शामिल कर लिया गया है।
बिस्किट कम लागत पर स्वच्छता, ऊर्जा, पोषण की तलाश करने वाले रिक्शा चालकों और कम पैसा पाने वाले मजदूरों द्वारा उपयोग किया जाने वाला आम उत्पाोद है। हम सरकार को बिस्किट उद्योग पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू करने के फैसले की दोबारा समीक्षा करने का आग्रह करते हैं। इस उद्योग के विकास में स्थिरता से बचने के लिए जीएसटी की दर को 12 प्रतिशत तक लाने की आवश्यकता है। भारतीय बिस्कुट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईबीएमए) के अध्यक्ष श्री बी पी अग्रवाल ने ये बातें कहीं।
क्रेमिका बिस्कुट के प्रबंध निदेशक श्री अनूप बेक्टर ने कहा कि बिस्किट गेहूं, वनस्पति तेल, चीनी और दूध जैसे कृषि उत्पादों से बना है और बिस्कुट के उच्च उत्पादन से अधिक संख्या में किसानों को फायदा होता है।