इस बार पर्यावरण दिवस बीते कई वर्षों की अपेक्षा में बेहद खास और अलग है। कोरोना वायरस के चलते पूरी दुनिया में लंबे समय तक लॉकडाउन रहा। इससे मानवता पर जरूर विपरीत असर हुआ है, परंतु यह पर्यावरण और वन्य जीवों के लिए वरदान बन कर आया है इसके चलते प्रकृति में मनुष्य का दखल एकदम बंद हो गया है। पर्यावरण एकदम साफ सुथरा दिलकश और नया नवेला सा हो गया। अब देखना यह है कि पर्यावरण में जो बदलाव आज हम देख रहे हैं, क्या वह हम ऐसे ही बनाए रख पाएंगे या नहीं?
ऐसे ही बनाए रखने के लिए हमें बहुत छोटी छोटी चीजों का ध्यान देना पड़ेगा जैसे अब बेवजह का शोर शराबा, बाहर निकलना सड़कों पर गंदगी फैलाना, पानी में गंदगी फैलाना सब बंद है इसे ऐसे ही बरकरार रखना होगा। वन्य जीव संरक्षण, पानी बचाना, पेड़ पौधों को नष्ट न करना, सफाई रखना और सबसे बड़ी बात हमें स्वयं को और आने वाले नई पीढ़ी को प्रकृति, पर्यावरण, पानी व पेड़ पौधों के प्रति संवेदनशील बनाना होगा।
जनसंख्या पर नियंत्रण करना होगा अगर जनसंख्या ऐसे ही बढ़ती रही तो संसाधनों की आपूर्ति नहीं हो पाएगी और प्रकृति के साथ अत्याचार भी बढ़ेगा जिसके कारण प्राकृतिक स्रोतों और संसाधनों में तेजी से कमी आएगी, प्राकृतिक आपदाएं भी बढ़ेगी। कदम कदम अपनी सुख सुविधाएं बढ़ाने की होड़ लगी हुई है पर प्रकृति को बचाने की कोई नहीं सोचता।
हर जगह जिम्मेवारी सरकार की नहीं होती कि सरकार कोई कानून लाये और हमसे कानून का पालन करवाएं बल्कि हमें खुद आगे आना होगा हमें खुद समझना होगा प्रकृति हमारे लिए कितना जरूरी है, पर्यावरण स्वस्थ होना हमारे लिए कितना जरूरी है, जितना ज्यादा पर्यावरण स्वच्छ होगा उतनी ही बीमारियां और आपदाएं कम होगी और हमारा विकास अधिक होगा।
-सीमा वर्मा