थियेटर फेस्टिवल का आयोजन 12 दिसंबर से दिल्ली में

चार दिन के इस थियेटर फेस्टिवल में नई दिल्ली, जयपुर और भोपाल के नाटकों का मंचन किया जाएगा।

नई दिल्ली। सर्दियों के मौसम में थियेटर को पसंद करने वाले लोगों के लिए स्पर्श नाट्य रंग लेकर आया है, 4 दिवसीय रंगमंच महोत्सव। थियेटर फेस्टिवल के सातवें संस्करण का आयोजन दिल्ली के श्रीराम सेंटर में 12 दिसंबर से किया जाएगा। फेस्टिवल में प्रवेश निशुल्क होगा। ह्दय मंच थियेटर फेस्टिवल में हास्य व्यंग्य से भरपूर कई नाटकों का मंचन है, जिसे स्पर्श नाट्य रंग की “नाड़ी परीक्षा” और “पति गए री काठियावाड़” का मंचन किया जाएगा। जयपुर स्थित क्यूरियो के नाटक “फ्लर्ट” के साथ भोपाल स्थित नव नाट्य संस्था के “परसाई उवाच” का मंचन किया जाएगा।

अजीत चैधरी के निर्देशन में आबिद सुरती की कलम से निकला स्पर्श नाट्य रंग का नाटक “नाड़ी परीक्षा” कॉमेडी से भरपूर हल्का-फल्का नाटक है। ये नाटक एक विवाहित रिटायर्ड आर्मी अफसर पर केंद्रित है, जो लड़कियों से हमेशा फ्लर्ट करता रहता है। बीमारी के कारण बिस्तर पकड़ चुकी उसकी पत्नी उसे अक्सर कोसती रहती है। नाटक में दिलचस्प मोड़ तब जाता है, जब रिटायर्ड आर्मी अफसर अपनी पत्नी के तथाकथित अफेयर की बात सुनकर परेशान हो जाता है। नाटक में उस समय जबर्दस्त कॉमेडी उभरती है, जब रिटायर्ड आर्मी अफसर की लंबे समय से गर्लफ्रेंड रही एक लड़की एक नौजवान के लिए उसे धोखा देती है, लेकिन इन सबके बावजूद वह लगातार लड़कियों के पीछे भागता रहता है।

जयपुर का क्यूरियो ग्रुप की ओर से “फ्लर्ट” नामक नाटक का मंचन गगन मिश्रा के निर्देशन में किया जाएगा। इस नाटक को नरेंद्र कोहली ने लिखा है। मशहूर निर्देशक तरुण दत्त पांडेय “परसाई उवाच” का मंचन करेंगे, जिसे हरिशंकर परसाई ने लिखा है। इस महोत्सव का आखिरी नाटक “पति गए री काठियावाड़” होगा, जिसे वेंकटेंश मदगुलकर ने लिखा है। इसका नाट्य रूपांतरण सुधीर कुलकर्णी ने किया है। नाटक का निर्देशन अजीत चैधरी करेंगे, जो दिल्ली में स्पर्श नाट्य रंग नामक संस्था से जुड़े हुए हैं। नाटक का संगीत भी उन्होंने ही दिया है। नाटक की कहानी महाराष्ट्र के पुणे में भामबोडा नामक गांव की कहानी है। ये नाटक स्त्री पुरुष के संबधों की हकीकत को मजाकिया अंदाज में पेश करता है।

ह्दय मंच थियेटर महोत्सव के फेस्टिवल डायरेक्टर अजीत चैधरी ने की। उन्होंने कहा, इस नीरस जिंदगी में लोग इतने भौतिकवादी हो गए हैं कि वह हंसना भूल चुके हैं। हमारा लक्ष्य दर्शकों को ज्यादा से ज्यादा हंसाना है और ऑडिटोरियम को लोगों के कहकहों से पूरी तरह गुलजार करना है। इसके साथ थियेटर देखने आए दरर्शक अपनी जिंदगी के बीच से उभरकर रंगमंच पर आए मजाकिया और व्यंग्यपूर्ण चरित्रों की समीक्षा भी करेंगे।

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