जानवरों पर अत्याचार मानवता पर कलंक

-सीमा वर्मा,
संसार में रहने वाले सभी प्राणी पशु पक्षी जीव जंतु एक ही परमात्मा की देन है इसलिए पूरी धरती हम सभी की एक आम संपत्ति है। यह हमारी दुनिया है और जानवरों की भी दुनिया है। सिर्फ इसलिए कि हम खाद्य श्रृंखला के शीर्ष पर हैं, क्या इससे हमें पशु अधिकारों को दूर करने का अधिकार मिलता है? मानव को कुछ अतिरिक्त शक्ति मिली है जिस कारण मानव पर बहुत सारे जीव जंतु आश्रित होते हैं। कुछ लोग इस अतिरिक्त शक्ति का दुरुपयोग करते हुए जानवरों को मनोरंजन और स्वार्थ का जरिया बना उनका शोषण करते हैं। जानवरों का उत्पीड़न कोई नई समस्या नहीं है। सदियों से जानवरों के साथ बुरा व्यवहार होता आया है। ये खुद के लिए आवाज नहीं उठा सकते और इसी लिए उनकी रक्षा, सुरक्षा, संरक्षण एवं संवर्धन करना मानव मात्र की जिम्मेदारी बनती है। इसके विपरीत मानव कितना अत्याचारी होता जा रहा है यह बताने की आवश्यकता नहीं है।

अब हाल ही की घटना को देख लो केरल में एक मादा गर्भवती हाथी को बेरहमी से मार दिया गया। यह तो सामने आया हुआ मामला है न जाने कितने ही दिल दहला देने मामले हैं जो दबे के दबे रह जाते हैं। कुछ मामले हम अपनी दिनचर्या में देखते रहते हैं, जैसे की मुर्गों की जिंदगी एक पिंजरे में शुरू होकर गर्मी-सर्दी, धूप-छांव, भूख-प्यास, दुख-पीड़ा के साथ वहीं पर खत्म हो जाती है और मानव का आहार बन जाती है। उनको कोई सुविधा नहीं दी जाती ऊपर से उनके साथ क्रुर व्यवहार कर उनके अंदर डर भी पैदा किया जाता है क्योंकि जानवर है ना बोल नहीं पाते किसी को कुछ कह नहीं पाते और हम इंसान है, इनसे ज्यादा शक्तिशाली तो हम जो भी मन में आए हम कर सकते हैं। पर कुछ लोगों को कौन समझाए कि पीड़ा की क्षमता भाषा से संबोधित नहीं हो सकती। सभी जानवरों को भी दुख-दर्द, खुशी, स्नेह, भय, निराशा, अकेलापन, और मातृ प्यार महसूस होता है। इनके साथ निर्जीव वस्तुओं की तरह व्यवहार न करें।

अगर श्वानों को वफादारी का नाम दे दिया जाए तो इसमें कोई दो राय नहीं होगी क्योंकि वह इंसानों की तरह बार-बार रंग नहीं बदलते एक बार दोस्त होने के बाद, वे हमेशा दोस्त बने रहते हैं। मेरा मानना है कि जीने की इच्छा रखने वाले प्रत्येक प्राणी-जीव को दर्द और पीड़ा से मुक्त होने का अधिकार है जानवरों का अधिकार सिर्फ एक दर्शन मात्र नहीं बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है जो समाज के पारंपरिक दृष्टिकोण को चुनौती देता है जानवरों के लिए क्रूरता सबसे बड़े नैतिक मुद्दों में से एक है। जानवरों से प्यार करने वाले लोगों का मानना है कि जानवर मनुष्य के समान अधिकारों के लायक है और यह सही भी है। इसके लिए पशु संरक्षण कानून में मजबूती लाने की आवश्यकता है। जब तक मानव में जीवों के लिए दया और सहानुभूति नहीं होगी भौतिक विकास तो संभव है लेकिन वास्तविक सुख शांति नहीं मिल सकती।

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